देश में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना कराने का फैसला किया है। बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगाई गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह जाति जनगणना, देश की अगली जनगणना प्रक्रिया के साथ ही कराई जाएगी।
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब बिहार चुनाव नजदीक हैं और विपक्षी दल लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। अनुमान है कि इसकी शुरुआत सितंबर 2025 में हो सकती है, लेकिन इसका अंतिम डाटा 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में सार्वजनिक किया जा सकेगा।
🔍 क्या है जाति जनगणना और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
भारत में हर 10 साल में जनगणना होती है। पिछली बार यह 2011 में हुई थी। 2021 की जनगणना कोविड के चलते स्थगित कर दी गई थी। पारंपरिक जनगणना में अब तक SC (अनुसूचित जाति) और ST (अनुसूचित जनजाति) की जानकारी तो ली जाती रही है, लेकिन OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) की गिनती नहीं होती थी।
अब सरकार इसके लिए जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन करने जा रही है, ताकि OBC की करीब 2,650 जातियों को भी शामिल किया जा सके।
📝 जनगणना फॉर्म में होंगे अतिरिक्त कॉलम
अभी तक जनगणना फॉर्म में 29 कॉलम होते हैं, जिनमें नाम, पता, लिंग, शिक्षा, रोजगार, माइग्रेशन जैसे बिंदु शामिल रहते हैं। लेकिन अब जाति से संबंधित अलग कॉलम जोड़े जाएंगे।
2011 की जनगणना के अनुसार:
- अनुसूचित जातियां (SC): 1,270
- अनुसूचित जनजातियां (ST): 748
- SC की आबादी: 16.6%
- ST की आबादी: 8.6%
⚖️ राजनीतिक मायने और विपक्ष की प्रतिक्रिया
जाति जनगणना की घोषणा के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि – “आख़िरकार सरकार को जनता की बात सुननी पड़ी। हम इस पहल का समर्थन करते हैं लेकिन इसे समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि तेलंगाना में हुई कास्ट सेंसस को मॉडल के रूप में अपनाया जा सकता है। राहुल गांधी का यह बयान संकेत देता है कि कांग्रेस इस विषय को सामाजिक न्याय के एजेंडे के रूप में आगे बढ़ाएगी।
🕰️ 2011 में हुई थी सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना, लेकिन आंकड़े छुपा लिए गए
मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई गई थी। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।
हालांकि, इस सर्वेक्षण के पूरे आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए, केवल SC और ST वर्गों से संबंधित हाउसहोल्ड डाटा ही जारी हुआ।
📊 जाति आधारित आंकड़े क्यों ज़रूरी हैं?
जाति जनगणना से यह स्पष्ट होगा कि किन-किन जातियों की क्या सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हिस्सेदारी है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ और आरक्षण की नीति ज्यादा सटीक तरीके से लागू की जा सकेगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!