अमेरिकी दबाव में जापान ने रद्द की वॉशिंगटन यात्रा, चावल आयात समझौते पर विवाद गहराया
टोक्यो। अमेरिका और जापान के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत में तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से जापान पर अमेरिकी चावल के लिए अपना बाजार खोलने का दबाव बनाए जाने के बाद जापान के मुख्य वार्ताकार रयोसेई अकाजावा ने अपनी वॉशिंगटन यात्रा रद्द कर दी। वे 28 अगस्त को अमेरिका जाने वाले थे, लेकिन हालात बिगड़ने के चलते यह दौरा टल गया।
जापान पर अमेरिकी कृषि दबाव
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि जापान अमेरिकी चावल का आयात बढ़ाए और अपने कृषि बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले। जापान का तर्क है कि ऐसा करने से उसके घरेलू किसानों को गहरा नुकसान पहुंचेगा और ग्रामीण समुदाय में असंतोष पनपेगा। व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि जापान जुलाई में ही अमेरिकी चावल आयात कोटा में 75% बढ़ोतरी पर सहमत हो चुका है, लेकिन प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने इसे खारिज करते हुए साफ कहा कि जापान अमेरिकी दबाव में अपने किसानों के हितों का बलिदान नहीं करेगा।
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भारत से तुलना: टैरिफ विवाद की पुनरावृत्ति
अमेरिका का यह रवैया अकेले जापान तक सीमित नहीं है। इससे पहले ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर भी इसी तरह दबाव बनाया था कि भारत अमेरिकी मांसाहारी गायों का दूध खरीदे और अमेरिकी किसानों के लिए अपना बाजार खोले। भारत ने जब इस मांग को ठुकरा दिया, तो अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया, जो बाद में बढ़कर 50% तक पहुंच गया। जापान को भी अब ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है।
असफल अपेक्षाएँ और अधूरी गारंटी
अकाजावा का मकसद इस यात्रा से अमेरिका से लिखित आश्वासन लेना था कि जापानी उत्पादों पर टैरिफ कम किए जाएंगे। लेकिन जब यह साफ हो गया कि ट्रम्प प्रशासन किसी तरह की लिखित गारंटी देने के लिए तैयार नहीं है, तो उन्होंने यात्रा रद्द करने का फैसला किया। जापान चाहता था कि अमेरिका ऑटोमोबाइल टैरिफ का बोझ कम करे, लेकिन इस मुद्दे पर भी कोई ठोस भरोसा नहीं मिला।
भरोसे का संकट: दोनों देशों के बीच अविश्वास
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद की जड़ में दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी है। अमेरिका चाहता है कि जापान उसके साथ हुए 550 अरब डॉलर के निवेश समझौते को लिखित रूप दे, वहीं जापान की मांग है कि अमेरिका भी यह लिखकर दे कि जापानी ऑटोमोबाइल पर 15% टैरिफ तुरंत लागू नहीं होगा। दोनों पक्ष एक-दूसरे की शर्तों को मानने से बच रहे हैं।
घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप का आरोप
जापान का कहना है कि अमेरिका का यह दबाव उसकी घरेलू कृषि नीतियों और आत्मनिर्भरता पर सीधा हस्तक्षेप है। अकाजावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कई मुद्दे अभी बाकी हैं जिन पर अधिकारियों के स्तर पर और बातचीत की जरूरत है। इसलिए उन्होंने यात्रा को स्थगित किया है, हालांकि भविष्य में वार्ता आगे बढ़ने पर वे अमेरिका जाने पर विचार करेंगे।
ऐतिहासिक रिश्तों में दरार का संकेत
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और जापान एक-दूसरे के करीबी सहयोगी रहे हैं। 1951 की सुरक्षा संधि के तहत अमेरिका जापान की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाता है, जबकि जापान एशिया में अमेरिकी रणनीतिक उपस्थिति का अहम हिस्सा है। लेकिन मौजूदा हालात यह संकेत दे रहे हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक टकराव उनके लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों में नई चुनौतियाँ पैदा कर सकता है।
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