जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा का इस्तीफा, चुनावी हार और LDP में नई लीडरशिप की तलाश
जापान की राजनीति एक बड़े मोड़ पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार को इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने यह कदम अपनी ही पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के भीतर गहराते असंतोष और विभाजन से बचाने के लिए उठाया है। जापान की प्रमुख समाचार एजेंसी एनएचके (NHK) के अनुसार, इशिबा के इस्तीफे के बाद अब सत्तारूढ़ दल के भीतर नए नेतृत्व की तलाश शुरू हो चुकी है।
चुनावी हार बनी इस्तीफे की वजह
जुलाई में हुए ऊपरी सदन (हाउस ऑफ काउंसलर्स) के चुनाव में इशिबा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को करारी हार झेलनी पड़ी थी। इससे पहले भी अक्टूबर 2024 में निचले सदन के चुनाव में उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। दो बड़े चुनावी झटकों ने इशिबा की स्थिति बेहद कमजोर कर दी थी।
ऊपरी सदन की 248 सीटों में से बहुमत बनाए रखने के लिए इशिबा गठबंधन को 50 नई सीटों की जरूरत थी, लेकिन उन्हें केवल 47 सीटें ही मिलीं। इनमें से LDP को 39 सीटें मिलीं। इसके चलते गठबंधन बहुमत से दूर रह गया।

LDP के भीतर ‘इशिबा को हटाओ’ आंदोलन
चुनावी हार के बाद LDP में असंतोष खुलकर सामने आने लगा। कई वरिष्ठ नेताओं और सांसदों ने इशिबा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। पार्टी के भीतर ‘इशिबा को हटाओ’ अभियान ने जोर पकड़ लिया। इशिबा ने हार के लिए माफी तो मांगी थी, लेकिन उनकी स्थिति संभल नहीं पाई और अंततः उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
संसद में कमजोर हुआ गठबंधन
यह जापान की राजनीति में ऐतिहासिक स्थिति है कि LDP-कोमेतो गठबंधन पहली बार दोनों सदनों में बहुमत खो बैठा है।
- अक्टूबर 2024 के चुनाव में गठबंधन को निचले सदन की 465 में से केवल 215 सीटें मिली थीं, जबकि बहुमत के लिए 233 सीटें चाहिए।
- वहीं जुलाई 2025 के ऊपरी सदन चुनाव में भी वे बहुमत से चूक गए।
इशिबा भले ही प्रधानमंत्री बने रहे, लेकिन संसद में उनके पास स्पष्ट बहुमत नहीं था। वे सरकार चलाने के लिए छोटे दलों और विपक्ष के नेताओं पर निर्भर हो गए थे। बजट, सब्सिडी और टैक्स सुधार जैसे मुद्दों पर उन्हें विपक्ष से समर्थन जुटाना पड़ा। यही स्थिति उनके लिए सबसे बड़ा संकट बन गई।
विपक्ष और अस्थिर राजनीति
मुख्य विपक्षी दल कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जापान (CDPJ) को निचले सदन में 148 सीटें मिली थीं। हालांकि विपक्षी दल आपसी मतभेदों से जूझ रहे हैं और एकजुट होकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। विपक्ष ने इशिबा सरकार के खिलाफ नो-कॉन्फिडेंस मोशन लाने की तैयारी भी की थी, लेकिन इशिबा ने संसद भंग कर नए चुनाव कराने की चेतावनी दी थी, जिससे विपक्ष पीछे हट गया।
नई लीडरशिप की चुनौती
इशिबा के इस्तीफे के बाद अब LDP में नई लीडरशिप की तलाश शुरू हो गई है। पार्टी को न सिर्फ अपने भीतर का असंतोष दूर करना है, बल्कि जनता का खोया विश्वास भी वापस पाना है। जापान जैसे स्थिर लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का इस्तीफा बड़ी राजनीतिक हलचल पैदा करता है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि LDP किसे अपना नया चेहरा बनाती है और वह जनता के भरोसे को कैसे जीतती है।
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