जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भारी विरोध के बावजूद मंगलवार को एक संशोधन विधेयक पारित कर राज्य को आधिकारिक रूप से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया। सदन में यह विधेयक पेश करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक वास्तविकता है कि जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है, और इस बदलाव को विधिक रूप से स्पष्ट करने की आवश्यकता थी। अंततः एनसी, कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों के समर्थन से यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विधानसभा में तीखी बहस और विरोध
इस विधेयक को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में काफी तीखी बहस देखने को मिली। कश्मीर केंद्रित विपक्षी दलों ने इस पर कड़ा विरोध जताया। जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर वस्तु एवं सेवा (संशोधन) अधिनियम-2025 को सदन में पेश किया, तो सज्जाद लोन ने इसका पुरजोर विरोध किया। उन्होंने विधेयक को राज्य के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा, “यह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण रूप से केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का समर्थन होगा और मैं इस पाप का हिस्सा नहीं बनूंगा।” इतना कहने के बाद वह गुस्से में सदन से बाहर चले गए।
पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा ने भी विधेयक पर आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह का संशोधन राज्य की स्वायत्तता को और कमजोर कर देगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक केंद्र सरकार के प्रभाव में लाया गया है और इससे जम्मू-कश्मीर की विशेष पहचान और राजनीतिक अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
विधेयक के मुख्य बिंदु
संशोधित विधेयक में जीएसटी कानून से जुड़े कई प्रावधानों को बदला गया है। इनमें एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब ‘जम्मू-कश्मीर सरकार’ की जगह ‘जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश सरकार’ लिखा जाएगा। इस परिवर्तन को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि यह जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को खत्म करने की दिशा में एक और कदम है।
इस विधेयक के पारित होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि अब जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर संचालित होगा और इसके प्रशासनिक एवं कानूनी प्रावधानों में केंद्र की भूमिका और अधिक बढ़ जाएगी।
विधेयक पारित होने के प्रभाव
- प्रशासनिक परिवर्तन: अब जम्मू-कश्मीर को आधिकारिक रूप से केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता मिल गई है, जिससे केंद्र सरकार के हस्तक्षेप और नियंत्रण में वृद्धि होगी।
- विपक्ष की नाराजगी: विपक्षी दलों ने इस फैसले को जनविरोधी करार दिया और इसे जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता खत्म करने की साजिश बताया।
- कानूनी प्रभाव: विधेयक के पारित होने से जम्मू-कश्मीर के सरकारी दस्तावेजों और प्रशासनिक आदेशों में अब ‘केंद्र शासित प्रदेश’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे राज्य की पूर्ववर्ती स्वायत्त स्थिति समाप्त हो जाएगी।
विधानसभा में विरोध के बावजूद इस विधेयक को सरकार ने सफलतापूर्वक पारित कर लिया, जिससे जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव आ गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस फैसले का क्षेत्र की राजनीति और प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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