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January 22, 2025 4:40 PM

कश्मीर का नाम ‘कश्यप’ पर हो सकता है आधारित: गृह मंत्री अमित शाह का ऐतिहासिक दृष्टिकोण

Amit Shah speaking at the book launch event discussing Kashmir's historical significance and the importance of rewriting history based on factual evidence.

गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में ऐतिहासिक दृष्टिकोण और तथ्यों पर आधारित इतिहास लेखन की आवश्यकता पर जोर दिया। वह ‘जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर आधारित हो सकता है और इतिहासकारों से आग्रह किया कि वे प्रमाणों के आधार पर भारत के हजारों वर्षों पुराने इतिहास को सही रूप में प्रस्तुत करें।

इतिहास को शासकों की छवि तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए

अमित शाह ने कहा कि एक समय ऐसा था जब भारत का इतिहास केवल दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित कर दिया गया था। “150 साल के एक दौर में इतिहास को शासकों को खुश करने के लिए लिखा गया। अब समय आ गया है कि हम इस मानसिकता से बाहर आएं और सच्चे तथ्यों के आधार पर इतिहास लिखें।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं को लंबे समय तक अनदेखा किया गया। कश्मीर और लद्दाख के इतिहास को गहराई से समझने और उसे जनता के सामने प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

कश्मीर और लद्दाख का भारत से गहरा संबंध

शाह ने कश्मीर और लद्दाख के भारत से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “कश्मीर और लद्दाख के इतिहास में भारत की संस्कृति की जड़ें बसी हैं। शंकराचार्य, सिल्क रूट, और हेमिष मठ जैसे ऐतिहासिक संदर्भ इस बात के प्रमाण हैं। यहां सूफी परंपरा, बौद्ध धर्म और प्राचीन शैल मठों का विकास हुआ। यह क्षेत्र हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।”

ऐतिहासिक भूलों को सुधारने का समय

अमित शाह ने कश्मीर में आज़ादी के बाद की गई ऐतिहासिक गलतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “लद्दाख में मंदिर तोड़े गए और कश्मीर में कई गलतियां हुईं, लेकिन समय के साथ उन्हें सुधारा गया।”

इतिहासकारों से विशेष अपील

शाह ने इतिहासकारों से अपील की कि वे प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास को प्रमाणों और तथ्यों के साथ लिखें। उन्होंने कहा, “हमारे इतिहास को वैश्विक मंच पर सही तरीके से रखने की जरूरत है, ताकि देश की जनता को सच्चाई का पता चल सके।”

यह बयान भारत के प्राचीन इतिहास और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

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