: ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच विदेश मंत्री जयशंकर का रूस दौरा, 21 अगस्त को लावारोव से मुलाकात
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते आर्थिक तनाव के बीच विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का रूस दौरा तय हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने दोनों देशों के संबंधों में तल्खी पैदा कर दी है, वहीं भारत ने अपने रणनीतिक विकल्पों को मजबूत करने के लिए रूस से संपर्क बढ़ा दिया है। इस कूटनीतिक सिलसिले में जयशंकर 21 अगस्त को मॉस्को पहुंचेंगे, जहां वे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव से मुलाकात करेंगे।
रूसी विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा है कि इस बैठक में अंतर्राष्ट्रीय ढांचे के तहत सहयोग को बढ़ाने, रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देने और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार, बातचीत के एजेंडे में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, और बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय जैसे विषय प्रमुख रहेंगे। इस वर्ष के अंत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की संभावित भारत यात्रा को देखते हुए इस मुलाकात को खास महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि इसमें पुतिन के दौरे की तैयारियों पर भी चर्चा हो सकती है।

भारत-अमेरिका के रिश्तों में बढ़ी खटास
विदेश मंत्री जयशंकर का यह रूस दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में हालिया दिनों में तनाव देखा गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही वॉशिंगटन, पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के संकेत भी दे रहा है, जिससे नई दिल्ली की कूटनीतिक चिंताएं बढ़ी हैं।
अमेरिका के इस कदम को भारत ने आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापारिक रिश्तों पर नकारात्मक असर डाल सकता है। वहीं, भारत रूस के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने में जुटा है, ताकि ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके।
डोभाल के हालिया दौरे से बनी पृष्ठभूमि
विदेश मंत्री जयशंकर का यह दौरा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की हालिया रूस यात्रा के बाद हो रहा है। डोभाल ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस दौरान सैन्य तकनीकी सहयोग, असैन्य विमान निर्माण, धातु उद्योग, रासायनिक उद्योग और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं पर बातचीत हुई थी।
भारत स्थित रूसी दूतावास ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि दोनों देशों के बीच रक्षा और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए कई ठोस प्रस्तावों पर चर्चा हुई है। डोभाल के इस दौरे ने रूस-भारत साझेदारी को नई ऊर्जा दी, जिसका अगला चरण अब जयशंकर की मॉस्को यात्रा के रूप में देखा जा रहा है।

रूस-भारत रणनीतिक साझेदारी का महत्व
भारत और रूस दशकों से करीबी रणनीतिक साझेदार रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में रूस, भारत का सबसे बड़ा सहयोगी है और हाल के वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच संबंध गहरे हुए हैं। रूस से कच्चा तेल खरीदने के फैसले ने भारत को वैश्विक ऊर्जा संकट के समय राहत दी है, वहीं अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ यह मुद्दा तनाव का कारण बन गया है।
जयशंकर-लावारोव मुलाकात से उम्मीद है कि दोनों देश न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देंगे, बल्कि बदलते वैश्विक हालात में एक-दूसरे के हितों की रक्षा के लिए ठोस रणनीति भी बनाएंगे। विशेष रूप से ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर समन्वय बढ़ाने पर भी चर्चा हो सकती है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!