संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष को करारा जवाब, सिंधु समझौते की उपयोगिता पर उठाए सवाल
राज्यसभा में जयशंकर का बड़ा सवाल: पाकिस्तान से न दोस्ती थी, फिर सिंधु समझौता क्यों?
नई दिल्ली।
राज्यसभा में बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने "ऑपरेशन सिंदूर" पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान को लेकर भारत की ऐतिहासिक नीति पर गहन टिप्पणी की। उन्होंने विशेष रूप से सिंधु जल समझौते पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच न कोई दोस्ती थी और न ही विश्वास, तो फिर ऐसा समझौता आखिर क्यों किया गया?
जयशंकर ने कहा कि सिंधु जल समझौता उस दौर की "तुष्टिकरण नीति" का परिणाम था, जिसमें शांति की कीमत पर निर्णय लिए गए और पाकिस्तान के हितों को भारत के किसानों से ऊपर रखा गया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “इन लोगों को राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के किसानों की चिंता नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब के किसानों की फिक्र थी।”
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मैं उन्हें कहना चाहता हूँ वो कान खोलकर सुन लें कि 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक भी फोन कॉल नहीं हुआ। - @DrSJaishankar राज्यसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री@MEAIndiapic.twitter.com/08kO85S4dw#MonsoonSession2025
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मैं उन्हें कहना चाहता हूँ वो कान खोलकर सुन लें कि 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच एक भी फोन कॉल नहीं हुआ। - @DrSJaishankar राज्यसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री@MEAIndiapic.twitter.com/08kO85S4dw
ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तार से बोले विदेश मंत्री
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि "ऑपरेशन सिंदूर" को रोकने के लिए भारत पर दुनिया के किसी भी नेता का दबाव नहीं था। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसी भी बातचीत की बात को पूरी तरह नकारते हुए कहा, “12 अप्रैल से 22 जून के बीच मोदी और ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई।”
उन्होंने सदन को बताया कि अमेरिका, सऊदी अरब सहित तमाम देशों से बातचीत के दौरान भारत ने साफ कहा था कि यदि पाकिस्तान युद्धविराम चाहता है तो वह सीधे डीजीएमओ चैनल के माध्यम से बात करे।
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राज्यसभा में विपक्ष पर तीखा हमला
जयशंकर ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो लोग कभी मुंबई हमले पर चुप रहे, वो आज देश को ज्ञान दे रहे हैं कि विदेश नीति कैसे चलाई जाए। विपक्ष के बीच हंगामे के बावजूद जयशंकर ने बिना रुके अपना बयान जारी रखा।
सभा अध्यक्ष हरिवंश ने विपक्षी सदस्यों से संयम बरतने की अपील करते हुए जयशंकर से कहा, “सॉरी फॉर डिस्टर्ब यू, प्लीज कंटिन्यू।” इस पर मंत्री ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “सर, हम डिस्टर्ब नहीं होते, डिस्टर्ब वो लोग होते हैं।”
भारत की कूटनीति की वैश्विक मान्यता
जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) प्रमुख ने भारत के पक्ष में बयान दिया, जो हमारी कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका ने "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत की कोशिशों से 26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
सिंधु जल समझौते की आलोचना पर विशेष जोर
जयशंकर के बयान का सबसे अहम हिस्सा सिंधु जल समझौते पर केंद्रित रहा। उन्होंने यह प्रश्न उठाया कि जब भारत-पाकिस्तान संबंध कभी भरोसेमंद नहीं रहे, तो आखिर इस समझौते का आधार क्या था?
उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौता शांति की कीमत पर किया गया एक ऐसा निर्णय था, जिसने भारत के किसानों की पीड़ा को अनदेखा किया और पाकिस्तान को अनावश्यक लाभ पहुंचाया।
#MonsoonSession2025#WATCH | Indus Water Treaty was an extraordinary deal—no other nation lets major rivers flow to another without rights. As we put it in abeyance, some feel uneasy recalling its history… they prefer selective memory - EAM @DrSJaishankar in #RajyaSabhapic.twitter.com/JnTTFpCO8t
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विपक्ष के आरोपों का तथ्यों से जवाब
सदन में कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा टोके जाने पर जयशंकर ने जोर देते हुए कहा, “जो लोग सुनना नहीं चाहते, उन्हें भी सुनना पड़ेगा, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है।”
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में यह धारणा बनाई गई कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित हैं, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है और भारत उसका शिकार।
राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक व्यापक संदेश था कि भारत अब "तुष्टिकरण" और "समझौतावादी" नीति से हटकर स्पष्ट, सख्त और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने वाली विदेश नीति अपना चुका है। सिंधु जल समझौते पर उठाए गए सवाल अब राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनते नजर आ रहे हैं।
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