- आग इतनी भयंकर हो गई कि 200 से अधिक गैस सिलेंडर एक के बाद एक फटने लगे
जयपुर । मंगलवार रात जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ हादसा एक भयावह अग्निकांड में बदल गया। दूदू के पास मोखमपुरा क्षेत्र में एक गैस सिलेंडर से लदे ट्रक को केमिकल से भरे टैंकर ने जोरदार टक्कर मार दी, जिससे दोनों वाहनों में आग लग गई। देखते ही देखते आग इतनी भयंकर हो गई कि 200 से अधिक गैस सिलेंडर एक के बाद एक फटने लगे। धमाकों की आवाजें इतनी तेज थीं कि आसपास के गांवों में लोग घरों से बाहर निकल आए। यह हादसा रात करीब 10 बजे हुआ और करीब दो घंटे तक धमाके लगातार जारी रहे।
हादसे के दृश्य से दहला इलाका
हादसे के तुरंत बाद हाईवे पर भगदड़ मच गई। ज्वलनशील केमिकल से भरे टैंकर का केबिन आग की लपटों में घिर गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि टैंकर का अगला हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया और उसमें सवार ड्राइवर रामराज मीणा की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टैंकर चालक ने सड़क किनारे खड़े आरटीओ वाहन को देखकर अचानक गाड़ी का रुख ढाबे की ओर मोड़ दिया। इसी दौरान सामने खड़े एलपीजी सिलेंडर से लदे ट्रक से सीधी भिड़ंत हो गई।
धमाकों से दहशत, खेतों तक गिरे सिलेंडर
टक्कर के बाद सिलेंडरों में आग लग गई और फिर सिलसिला शुरू हुआ धमाकों का। करीब दो सौ सिलेंडर एक-एक कर फटते चले गए। कुछ सिलेंडर 400 से 500 मीटर दूर खेतों में जा गिरे। आसपास के खेतों में लगी फसल भी आग की चपेट में आ गई। धमाकों की आवाजें 10 किलोमीटर दूर तक सुनी गईं। ग्रामीणों ने बताया कि रात का सन्नाटा मानो गोलाबारी में तब्दील हो गया हो — हर तरफ आग, धुआं और धमाकों की गूंज थी।
पांच वाहन जले, आग पर काबू में लगे तीन घंटे
आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पास खड़े पांच अन्य वाहन भी चपेट में आ गए। कुछ निजी कारें, एक ट्रक और दो छोटे वाहन पूरी तरह जल गए। घटना की सूचना मिलते ही दूदू और जयपुर से फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां मौके पर भेजी गईं। दमकल कर्मियों ने करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया। फायरकर्मियों ने बताया कि आग पर काबू पाना मुश्किल था, क्योंकि हर कुछ मिनटों में सिलेंडर फट रहे थे और आग की तीव्रता बढ़ रही थी।
ट्रैफिक ठप, सुबह चार बजे खुला हाईवे
आग और धमाकों के कारण हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। पुलिस ने एहतियात के तौर पर ट्रैफिक को पूरी तरह रोक दिया। एनएच-48 पर करीब छह घंटे तक यातायात बाधित रहा। राहत और बचाव दल ने मलबा हटाने और ठंडे हुए सिलेंडरों को हटाने के बाद बुधवार सुबह करीब साढ़े चार बजे हाईवे को फिर से खोल दिया।

प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में हाईवे पर रात के समय भारी वाहनों की अव्यवस्थित पार्किंग आम बात है। गैस सिलेंडर और ज्वलनशील केमिकल जैसे खतरनाक पदार्थों से भरे वाहनों को बिना सुरक्षा इंतजाम के साथ-साथ खड़ा कर दिया जाता है, जिससे ऐसे हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है। हादसे के बाद भी कई सिलेंडर खेतों में बिखरे पड़े थे, जिन्हें देर रात तक पुलिस और अग्निशमन दल ने इकट्ठा किया।
जांच के आदेश, विशेषज्ञों की टीम मौके पर
जिला प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि टैंकर में मौजूद रासायनिक पदार्थ अत्यधिक ज्वलनशील था, जिससे आग तेजी से फैली। इसके नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं। फॉरेंसिक और आपदा प्रबंधन की टीम ने मौके का मुआयना किया है।
लोगों में भय और प्रशासन से नाराजगी
हादसे के बाद आसपास के गांवों के लोग दहशत में हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि धमाकों की आवाज इतनी जोरदार थी कि घरों की खिड़कियां और दरवाजे तक हिल गए। रातभर लोग जागते रहे। सुबह तक भी इलाके में धुआं और जली गैस की तीखी गंध फैली हुई थी। ग्रामीणों ने मांग की है कि भविष्य में ऐसे वाहनों की हाईवे पर अनियंत्रित पार्किंग पर सख्त कार्रवाई की जाए।
