पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने छोड़ा उपराष्ट्रपति एन्क्लेव, छतरपुर फार्महाउस में शिफ्ट

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आखिरकार दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव को खाली कर दिया है। सोमवार शाम लगभग छह बजे उन्होंने आधिकारिक आवास छोड़ा। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल वे दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके के गदाईपुर स्थित फार्महाउस में शिफ्ट हुए हैं। यह फार्महाउस इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता अभय चौटाला का है। अधिकारियों के मुताबिक यह केवल एक अस्थायी व्यवस्था है। जब तक उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति होने के नाते मिलने वाला टाइप-8 श्रेणी का सरकारी आवास आवंटित नहीं होता, तब तक वे यहां रहेंगे।

चौटाला परिवार से पुराने रिश्ते

अभय चौटाला ने बताया कि उनके परिवार और धनखड़ के बीच लंबे समय से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। चौटाला ने कहा— “हमने धनखड़ साहब से निवेदन किया कि वे हमारे घर में रहें और उन्होंने हमारी बात मान ली।” इसी वजह से वे अब इस फार्महाउस को अपना अस्थायी ठिकाना बनाए हुए हैं।

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इस्तीफे के बाद से नहीं दिखे सार्वजनिक मंच पर

धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन ही उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से लेकर अब तक वे सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए। इस बीच विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ने उन्हें हाउस अरेस्ट जैसी स्थिति में रखा है, हालांकि केंद्र सरकार ने इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया।

धनखड़ 42 दिनों तक संसद भवन के पास बने उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में ही रह रहे थे। अब एन्क्लेव खाली करने के बाद वे परिवार संग छतरपुर में समय बिता रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वे स्वास्थ्य लाभ के लिए योग और टेबल टेनिस का अभ्यास कर रहे हैं।

कार्यकाल और आवास का अधिकार

धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। लेकिन अचानक इस्तीफे के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। अब वे पूर्व उपराष्ट्रपति के नाते टाइप-8 श्रेणी के बंगले के पात्र हैं। जैसे ही उन्हें सरकारी आवास आवंटित होगा, वे फार्महाउस से वहां शिफ्ट हो जाएंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां

इसी बीच नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी भी तेज हो गई है। 9 सितंबर को मतदान होना है। इसमें एनडीए की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन उम्मीदवार हैं, जबकि विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया है। यह मुकाबला सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल माना जा रहा है।