भारत के 14वें उपराष्ट्रपति रहे धनखड़ ने कहा— “देश की सेवा करना मेरे जीवन का सौभाग्य”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति को लिखा भावुक पत्र
नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह निर्णय स्वास्थ्य कारणों के चलते लिया है। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में लिखा कि वे चिकित्सकीय सलाह और स्वास्थ्य की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से अपने पद से त्यागपत्र दे रहे हैं।
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब वे देश के संवैधानिक पद पर रहते हुए अपनी सक्रिय भूमिका के लिए पहचाने जा रहे थे। वे राज्यसभा के सभापति होने के साथ-साथ अनेक संसदीय और प्रशासनिक दायित्वों का भी निर्वहन कर रहे थे।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसदों का जताया आभार
धनखड़ ने राष्ट्रपति को संबोधित पत्र में उनके सहयोग, मार्गदर्शन और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के सदस्यों का भी आभार जताया। पत्र में उन्होंने लिखा:
“प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।”
उन्होंने कहा कि सांसदों से मिला विश्वास, सम्मान और अपनापन उन्हें सदैव स्मरण रहेगा।
उपराष्ट्रपति रहते हुए देश के विकास को बताया अद्भुत अनुभव
धनखड़ ने अपने इस्तीफा पत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल को भारत के परिवर्तनकारी दौर में सेवा करने का सौभाग्य बताया। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा को देखना और उसमें भागीदारी करना उनके लिए गौरव की बात रही।
“आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है।”
वर्ष 2022 में बने थे देश के 14वें उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ ने वर्ष 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर भारी मतों से जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को मात्र 182 मतों से संतोष करना पड़ा था।
साधारण किसान परिवार से शीर्ष संवैधानिक पद तक का सफर
धनखड़ का जीवन संघर्ष और आत्मबल की मिसाल है। वे राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक साधारण किसान परिवार में 18 मई 1951 को जन्मे थे। प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई और बाद में सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में दाखिला लिया। उनका चयन NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में हुआ, लेकिन उन्होंने सेना में नहीं जाने का निर्णय लिया।
उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और फिर एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद जयपुर में वकालत शुरू की और जल्द ही उच्च न्यायालयों में अपने पैर जमाए।
पूर्व सांसद और बंगाल के राज्यपाल भी रहे
धनखड़ ने 1989 में राजनीति में प्रवेश किया और झुंझुनू लोकसभा सीट से सांसद बने। वे वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। बाद में 30 जुलाई 2019 को उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने अनेक संवेदनशील मुद्दों पर मुखर रुख अपनाया और सुर्खियों में रहे।
अब जब उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके उत्तराधिकारी के रूप में अगला नाम कौन सामने आता है। फिलहाल, देश एक ऐसे व्यक्ति को विदाई दे रहा है जिसने संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर रहकर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ करने में योगदान दिया।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!