September 17, 2025 1:07 AM

इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति शपथ समारोह में राधाकृष्णन के पास बैठकर मुस्कुराते और ताली बजाते दिखे

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल शुक्रवार सुबह गवाह बना एक ऐतिहासिक पल का, जब चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (सी.पी. राधाकृष्णन) ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर राजनीतिक गलियारों के बड़े चेहरे मौजूद थे, लेकिन सबकी निगाहें उस समय ठहर गईं जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 52 दिनों के लंबे अंतराल के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर नजर आए।

लाल कुर्ते में राधाकृष्णन ने ली शपथ

राधाकृष्णन सुबह ठीक 11 बजे अपने परिवार और समर्थकों के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उन्होंने लाल कुर्ता और सफेद पायजामा पहन रखा था। ईश्वर के नाम पर अंग्रेजी में शपथ लेते हुए उन्होंने कहा कि वे संविधान और कानून के प्रति पूरी निष्ठा और सम्मान बनाए रखेंगे।

राधाकृष्णन ने इस पद तक पहुंचने का सफर मंगलवार को हुए चुनाव में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराकर तय किया था। उनकी जीत को दक्षिण भारत की राजनीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

धनखड़ की 52 दिन बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति

समारोह के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे जगदीप धनखड़। उन्होंने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से वे सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह दूर थे, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।
इस कार्यक्रम में धनखड़ सी.पी. राधाकृष्णन के पास अतिथियों वाली पहली पंक्ति में बैठे नजर आए। इस दौरान वे मुस्कुराते हुए और ताली बजाते हुए दिखे, जिससे उनके अच्छे स्वास्थ्य का संकेत मिला। उनकी उपस्थिति ने विपक्ष के उन सवालों का भी जवाब दे दिया, जो उनकी चुप्पी और गैरहाजिरी पर उठाए जा रहे थे।

राष्ट्रपति भवन में नेताओं का जमावड़ा

समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्री और सांसद मौजूद थे।
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और वेंकैया नायडू ने भी कार्यक्रम में शिरकत कर नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति को बधाई दी।

धनखड़ ने पत्र लिखकर दी थी बधाई

समारोह से पहले ही जगदीप धनखड़ ने सी.पी. राधाकृष्णन को पत्र लिखकर बधाई दी थी। यह जुलाई में पद छोड़ने के बाद उनका पहला सार्वजनिक बयान था।
अपने संदेश में धनखड़ ने लिखा था,

“सी.पी. राधाकृष्णन का इस उच्च पद पर पहुंचना जनप्रतिनिधियों के विश्वास और भरोसे को दर्शाता है। उनके विशाल अनुभव से उपराष्ट्रपति का पद और अधिक गरिमा और सम्मान प्राप्त करेगा।”

उन्होंने आगे यह भी लिखा कि उन्हें विश्वास है कि राधाकृष्णन के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति का कार्यालय नई ऊंचाइयों को छुएगा और भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत बनाएगा।

विपक्ष के सवालों पर विराम

पिछले 50 दिनों से कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और तृणमूल कांग्रेस लगातार धनखड़ की गैरमौजूदगी पर सवाल उठा रही थीं।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने हाल ही में कहा था,

“पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कहां हैं? उनकी असामान्य चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है।”

शिवसेना सांसद संजय राउत और टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा था।
धनखड़ की इस उपस्थिति ने विपक्ष के इन सवालों को फिलहाल विराम दे दिया है।

राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण चेहरे रहे हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
राधाकृष्णन को भाजपा का संघ परिवार से जुड़ा कद्दावर नेता माना जाता है। उनके अनुभव और संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए ही पार्टी ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था।

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