पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के सबसे प्राचीन, पवित्र और भव्य धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, श्रद्धा और समाजिक समरसता का महान उत्सव है। हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ में बैठकर पुरी नगर भ्रमण पर निकलते हैं।

इस वर्ष यह यात्रा 27 जून 2025 से शुरू हो रही है, जो 8 दिनों तक चलेगी। इस दौरान रथ निर्माण से लेकर रथ खींचने, गुंडिचा मंदिर में विश्राम और फिर वापसी यात्रा तक कई दिव्य अनुष्ठान होते हैं। आइए जानते हैं रथ यात्रा के हर पहलू को विस्तार से—

🟡 रथ यात्रा की शुरुआत कब और कैसे होती है?

👉 शुरुआत:

  • आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को रथ यात्रा प्रारंभ होती है (2025 में यह दिन 27 जून है)।
  • इसे 'श्रीगुंडिचा यात्रा' या 'गुंडिचा जात्रा' भी कहते हैं।

👉 रथ यात्रा से पहले की तैयारी:

  • रथ यात्रा से करीब 2 महीने पहले रथ निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। पुरी के बड़दांड़ा (ग्रैंड रोड) पर तीन विशाल रथ लकड़ी से बनाए जाते हैं।
  • लकड़ियां विशेष रूप से नियमानुसार जंगल से लाई जाती हैं और मंदिर के कारिगरों द्वारा पारंपरिक तरीके से रथ बनाए जाते हैं।
  • इस निर्माण कार्य को 'अक्षय तृतीया' से आरंभ किया जाता है।

🔴 रथ यात्रा के मुख्य चरण

1. स्नान पूर्णिमा (Snana Purnima)

  • यात्रा से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को 108 कलशों से स्नान कराया जाता है।
  • इसके बाद तीनों मूर्तियों को बीमार घोषित कर दिया जाता है और उन्हें 'अनासर घर' (विश्राम कक्ष) में रखा जाता है।
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2. नेत्रोत्सव (Netrotsava)

  • एक दिन पहले भगवान की आंखों को फिर से रंगा जाता है।
  • इसे नेत्रोत्सव कहा जाता है। इसके बाद भगवान पुनः दर्शन देते हैं।
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3. रथ यात्रा (27 जून 2025)

  • तीनों रथ मंदिर से निकलते हैं और भक्त रथों को खींचते हैं।
  • भगवान अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) की यात्रा पर जाते हैं।
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🟩 तीनों रथों का विवरण

देवतारथ का नामरंगपहिएध्वजारथ की ऊंचाई
भगवान जगन्नाथनंदीघोषलाल और पीला16गरुड़ ध्वज~45 फीट
बलभद्रतलध्वजलाल और हरा14तालध्वज~44 फीट
सुभद्रादर्पदलनलाल और काला12पद्मध्वज~43 फीट

🟠 गुंडिचा मंदिर यात्रा

  • भगवान 7 दिन तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं।
  • यह स्थान भगवान की मौसी का घर माना जाता है।
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🔰 हेरा पंचमी

  • माता लक्ष्मी नाराज़ होकर गुंडिचा मंदिर पहुंचती हैं और रथ का एक हिस्सा तोड़ देती हैं।
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🟦 बहुदा यात्रा (5 जुलाई 2025)

  • भगवान वापसी यात्रा करते हैं, जिसे बहुदा यात्रा कहते हैं।

🔵 स्वर्ण बहुर्लभ और नीलाद्रि विजय

  • भगवान को स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है।
  • फिर लक्ष्मी के स्वागत के बाद वे पुनः मंदिर में प्रवेश करते हैं।
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🌿 क्या लाभ मिलता है रथ यात्रा में शामिल होने से?

  • रथ खींचने से मोक्ष की प्राप्ति।
  • दर्शन मात्र से पापों का क्षय और पुनर्जन्म से मुक्ति।
  • रथ यात्रा को देखने से 100 यज्ञों का फल।

🍀 रथ यात्रा में कौन-सी वस्तुएं घर लाना होता है शुभ?

1. मंदिर की बेंत (छड़ी)

  • इस बेंत को घर के पूजास्थल में रखें।
  • मान्यता है कि इससे लक्ष्मीजी का वास होता है और दुर्भाग्य दूर होता है।
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2. निर्माल्य (सूखा चावल)

  • यह भगवान को भोग लगाकर लाल कपड़े में बांधकर दिया जाता है।
  • इसे शुभ कार्यों में एक-एक दाना डालने से अन्न की कभी कमी नहीं होती।
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3. गोमती चक्र और रत्न पोटली

  • ये भी मंदिर परिसर से लाए जाते हैं और घर में सुख-शांति का प्रतीक माने जाते हैं।

🔄 पुरी मंदिर का विशेष महत्व

  • इसे धरती का बैकुंठ कहा जाता है।
  • यहां से लाई गई चीजें घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य लाती हैं।