• इसरो के 7 सैटेलाइट भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी प्रदान कर रहे

नई दिल्ली । भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, इसरो के 7 सैटेलाइट भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इन सैटेलाइट्स ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों और आतंकी लॉन्च पैड्स की सटीक तस्वीरों के माध्यम से भारतीय सेनाओं को शत्रु की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद की है। इससे पाकिस्तान के राडार सिस्टम और ड्रोन मिसाइल हमलों को नष्ट करने में भारतीय सेना को सफलता प्राप्त हुई है। इसरो का सैटेलाइट नेटवर्क भारतीय सेना के लिए हथियारों के आवागमन, पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों, और आतंकियों के ठिकानों की सटीक पहचान करने में मददगार साबित हो रहा है। इन सैटेलाइट्स से पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और आतंकी लॉन्च पैड्स की हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें प्राप्त की जा रही हैं। इसके जरिए भारतीय सेना को पाकिस्तान के राडार स्टेशनों, संचार सिग्नल्स और इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों का ट्रैक रखने में सफलता मिल रही है।

7 सैटेलाइट की विशेषताएँ

आरआईसैट-2बी: यह सैटेलाइट बादल, रात के अंधेरे और धूलभरे मौसम में भी निगरानी करने की क्षमता रखता है। इस सैटेलाइट की मदद से समुद्र में घुसपैठ करने वाले अवांछित जहाजों का पता भी लगाया जा सकता है।

आरआईसैट-2बीआर1: इस सैटेलाइट की मदद से पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और गतिविधियों की सटीक पहचान की जा सकती है। यह सैटेलाइट महज 35 सेंटीमीटर तक की दूरी पर स्थित दो ऑब्जेक्ट्स की पहचान कर सकता है।

कार्टोसेट-3: यह सैटेलाइट 25 सेंटीमीटर तक की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी प्रदान करता है और इसमें थर्मल इमेजिंग की क्षमता भी है। यह सैटेलाइट पैटर्न और मूवमेंट को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है।

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इमिसैट: डीआरडीओ द्वारा विकसित यह सैटेलाइट सीमापार दुश्मन के राडार और इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को ट्रैक करता है। यह पाकिस्तानी राडार स्टेशनों की जानकारी देने में मदद करता है और राडार सिस्टम को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाता है।

हायसिस: यह सैटेलाइट हाइस्पेक्ट्रल इमेजिंग की क्षमता रखता है, जिससे पाकिस्तान के सैन्य जमावड़े और हथियारों की पहचान की जा सकती है।

जीसैट-7: यह नौसेना और तट रक्षा बल के लिए संचार की सुविधा प्रदान करता है। यह सैटेलाइट समुद्र में संचार की सटीकता बढ़ाने में मदद करता है और नौसेना के उपकरणों को जोड़ने की क्षमता रखता है।
जीसैट-7ए: यह सैटेलाइट भारतीय वायुसेना और सेना के लिए नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमता प्रदान करता है। इससे वायुसेना की फाइटर प्लेन्स, एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, और ड्रोन आपस में जुड़े रहते हैं।

भारत की नई अंतरिक्ष योजना

अब भारत ने अपनी अंतरिक्ष निगरानी क्षमता को और बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके तहत 52 सैटेलाइट्स का एक समूह अगले 5 वर्षों में लॉन्च किया जाएगा, जिसमें आधे उपग्रह इसरो खुद विकसित करेगा और बाकी को निजी क्षेत्र तैयार करेगा। यह कदम भारत को अंतरिक्ष निगरानी में और भी मजबूती प्रदान करेगा।

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