900 अरब डॉलर के रक्षा कार्यक्रमों को मंजूरी देते हुए अमेरिकी संसद ने सैन्य प्रबंधन पर अपनी पकड़ और मजबूत की
वॉशिंगटन। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को वह व्यापक रक्षा नीति विधेयक पारित कर दिया, जिसके जरिए करीब 900 अरब डॉलर के सैन्य कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई है। यह विधेयक न केवल सैनिकों के वेतन में बढ़ोतरी का रास्ता खोलता है, बल्कि हथियारों की खरीद प्रणाली में लंबे समय से चली आ रही देरी और जटिलताओं को खत्म करने का प्रयास भी करता है। इस विधेयक को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम के नाम से जाना जाता है और इसे दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। व्हाइट हाउस ने भी इस विधेयक को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अनुरूप बताते हुए अपना समर्थन दिया है। विधेयक ऐसे समय में आया है, जब रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और ट्रंप प्रशासन के बीच सैन्य संसाधनों के प्रबंधन को लेकर खिंचाव बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस इस विधेयक के माध्यम से न केवल रक्षा मंत्रालय पर अपनी निगरानी सख्त करना चाहती है, बल्कि कुछ ऐसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं जो विदेशों में अमेरिकी सैन्य जिम्मेदारियों को स्पष्ट और व्यवस्थित करने की दिशा में कदम माने जा रहे हैं। इन प्रावधानों में कैरिबिया क्षेत्र में नौकाओं पर बढ़ते हमलों का विस्तृत ब्यौरा मांगना, यूरोप में यूक्रेन जैसे सहयोगी देशों को निरंतर समर्थन देने जैसे बिंदु विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। विधेयक का व्यापक स्वरूप तीन हजार से अधिक पन्नों में फैला हुआ है और इसमें कई ऐसे परिवर्तन शामिल हैं, जो अमेरिकी सैन्य ढांचे पर दूरगामी प्रभाव डालेंगे। इसमें अधिकांश सैन्य कर्मियों के वेतन में 3.8 फीसदी की वृद्धि का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही सैन्य ठिकानों पर रहने की सुविधाओं में सुधार, आधारभूत संसाधनों को आधुनिक बनाने और सैनिकों व उनके परिवारों के लिए बेहतर माहौल तैयार करने पर भी ध्यान दिया गया है। राजनीतिक दलों के बीच बेहतर संवाद को भी इसमें एक आवश्यक दिशा के रूप में शामिल किया गया है। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप की नीति के अनुरूप जलवायु और विविधता से जुड़े कार्यक्रमों में कटौती की गई है, जिससे प्रगतिशील समूहों में असंतोष देखा जा रहा है। इसके बरअक्स, पेंटागन की कार्यप्रणाली पर कांग्रेस की निगरानी को और कड़ा किया गया है तथा कई पुराने युद्ध प्राधिकरणों को समाप्त कर दिया गया है। बावजूद इसके, कुछ कट्टर दक्षिणपंथी सांसद इस विधेयक से असहमत हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह दस्तावेज अमेरिका की विदेशों में मौजूद सैन्य प्रतिबद्धताओं को पर्याप्त रूप से सीमित नहीं करता।
हथियार खरीद प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी
वर्षों से पेंटागन की हथियार खरीद प्रणाली विलंब और जटिलताओं का शिकार रही है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक में किए गए प्रावधान उद्योग जगत में गत वर्षों से चली आ रही सुस्ती को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने अपने कार्यकाल की प्राथमिकता के तहत हथियार खरीद प्रणाली में सुधार और गति लाने को प्रमुख स्थान दिया है। उनका मानना है कि जमीनी जरूरतों और सैन्य रणनीतियों के अनुरूप हथियारों की त्वरित और पारदर्शी खरीद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है। इस विधेयक पर टिप्पणी करते हुए सांसद एडम स्मिथ ने कहा कि यह दस्तावेज संरक्षण अधिग्रहण सुधार के क्षेत्र में अब तक का सबसे अहम और ठोस प्रयास है। उनके अनुसार, यदि इस विधेयक के प्रावधान अमल में आते हैं, तो हथियार खरीद की प्रक्रिया में न केवल गति आएगी, बल्कि लागत और गुणवत्ता से जुड़े मुद्दों पर भी सख्त निगरानी संभव होगी। इससे पेंटागन और रक्षा उद्योग के बीच संतुलन स्थापित होने की उम्मीद जताई जा रही है।
सैन्य प्रबंधन पर नए सिरे से नियंत्रण की कोशिश
विधेयक में कई ऐसे प्रावधान भी शामिल हैं, जिनसे कांग्रेस का रक्षा मंत्रालय पर नियंत्रण मजबूत होगा। इनमें खुफिया जानकारी साझा करने की बाध्यता बढ़ाना, विदेशों में अमेरिकी सेना के अभियानों पर अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना और भविष्य के सैन्य अभियानों के लिए संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल सैन्य निर्णयों में जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि युद्ध प्राधिकरणों के दुरुपयोग या अनावश्यक विस्तार पर भी अंकुश लग सकेगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी रक्षा ढांचे में बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चाहे वह सैनिकों की भलाई से जुड़े मानदंड हों या आधुनिक हथियारों के अधिग्रहण का तरीका—हर स्तर पर इसकी गूंज सुनाई देगी। अब आगे की प्रक्रिया में यह विधेयक सीनेट में विचाराधीन होगा, जहां इसके अंतिम स्वरूप और अमल का रास्ता साफ होगा।
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