तुर्की के मंच पर बातचीत के लिए खुला रूस का दरवाज़ा, कहा — “कीव दिखाए राजनीतिक इच्छाशक्ति तो किसी भी समय हो सकती है वार्ता”
इस्तांबुल। रूस ने संकेत दिए हैं कि वह यूक्रेन के साथ शांति प्रक्रिया को फिर से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। तुर्की में रूस के अंतरिम प्रभारी एलेक्सी इवानोव ने कहा है कि मास्को कभी भी इस्तांबुल में वार्ता फिर से शुरू करने को तैयार है, यदि यूक्रेनी पक्ष राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाता है। रूसी मीडिया एजेंसी तास (TASS) के हवाले से यह जानकारी दी गई है। इवानोव ने कहा कि तुर्की की मध्यस्थता से पहले भी कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन वे निर्णायक नतीजे तक नहीं पहुंच सकीं।
“तुर्की का इस्तांबुल मंच अब भी खुला है”
रूस के राजनयिक ने बताया कि 16 मई, 2 जून और 23 जुलाई को इस्तांबुल में दोनों देशों के बीच वार्ता हुई थी, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। उन्होंने कहा, “रूसी पक्ष बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हमारे तुर्की साझेदारों ने भी यह सुनिश्चित किया है कि इस्तांबुल का मंच हमारे लिए उपलब्ध है और यहां के दरवाजे खुले हैं।” इवानोव के मुताबिक, रूस ने पिछले दौर की वार्ता के दौरान कई ठोस प्रस्ताव और पहलें रखी थीं, जिनमें तीन ऑनलाइन कार्य समूहों (वर्किंग ग्रुप्स) की स्थापना भी शामिल थी, लेकिन यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
जुलाई के बाद नहीं हुई आमने-सामने बातचीत
रूस और यूक्रेन के बीच जुलाई के बाद से कोई आमने-सामने वार्ता नहीं हुई है। हालांकि हाल के दिनों में रूस की ओर से कई बार संकेत दिए गए हैं कि वह कूटनीतिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का इच्छुक है। राजनयिकों का कहना है कि रूस का यह रुख पश्चिमी देशों के प्रति एक “सकारात्मक संकेत” हो सकता है, ताकि युद्धविराम और बातचीत की प्रक्रिया को पुनर्जीवित किया जा सके।
पुतिन के करीबी दूत का बयान — “रूस संघर्षविराम नहीं, स्थायी समाधान चाहता है”
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी और उनके विशेष दूत किरील दिमित्रियेव ने भी कुछ दिन पहले यह कहा था कि रूस, यूक्रेन और अमेरिका अब एक “कूटनीतिक समाधान के काफी करीब” हैं। उन्होंने 24 अक्टूबर को सीएनएन को दिए साक्षात्कार में बताया कि रूस केवल अस्थायी संघर्षविराम (Ceasefire) नहीं चाहता, बल्कि संघर्ष का स्थायी और व्यापक समाधान चाहता है। दिमित्रियेव ने कहा — *“संघर्षविराम अक्सर अल्पकालिक होते हैं। कई बार देश इसका उपयोग पुनः सैन्य तैयारी और युद्ध फिर से शुरू करने के लिए करते हैं। रूस इस संघर्ष को समाप्त कर स्थायी शांति चाहता है।”*
रूस की रणनीति में बदलाव के संकेत
राजनयिक विशेषज्ञों के अनुसार, रूस का यह रवैया उसकी विदेश नीति में संभावित परिवर्तन को दर्शाता है। यूक्रेन युद्ध के लगभग तीन वर्ष बीत जाने के बाद, रूस सैन्य टकराव के बजाय राजनीतिक समाधान की दिशा में झुकता दिखाई दे रहा है। यह भी माना जा रहा है कि पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों और बढ़ते आंतरिक दबाव के चलते मास्को अब कूटनीतिक रास्ते से स्थिरता की तलाश में है।
तुर्की फिर बनेगा शांति वार्ता का सेतु?
तुर्की की भूमिका रूस-यूक्रेन संकट में पहले से ही महत्वपूर्ण रही है। इस्तांबुल में हुए शुरुआती दौर की बातचीत में तुर्की ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थ के रूप में अहम योगदान दिया था। तुर्की सरकार अब भी चाहती है कि इस्तांबुल “न्यूट्रल मंच” के रूप में कार्य करे, जहां दोनों पक्ष बिना किसी बाहरी दबाव के सीधे बातचीत कर सकें।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल यूक्रेन की ओर से रूस के इस नए प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कीव पहले भी बार-बार यह कह चुका है कि जब तक रूस यूक्रेनी भूमि से अपनी सेनाएं नहीं हटाता, तब तक किसी भी वार्ता का कोई अर्थ नहीं। अब देखना यह होगा कि क्या यूक्रेन और पश्चिमी सहयोगी इस बार रूस के इस “शांति संकेत” को गंभीरता से लेते हैं या नहीं।
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