माइतीघर मंडला में युवाओं का प्रदर्शन, चुनाव से पहले सुशासन और सर्वदलीय व्यवस्था की जोरदार मांग

काठमांडू। नेपाल की राजनीति में एक बार फिर उबाल देखने को मिला है। सर्वदलीय सरकार गठन की मांग को लेकर राजधानी काठमांडू के माइतीघर मंडला क्षेत्र में युवाओं के एक समूह ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व मिराज ढुंगाना कर रहे थे, जबकि रविकिरण हमाल, निकोलस भुसाल सहित कई अन्य युवा भी इसमें शामिल थे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में सीधे चुनाव कराना देश के हित में नहीं है और पहले सर्वदलीय सरकार बनाकर सुशासन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

“जेन-जी की मांग चुनाव नहीं, सुशासन” का नारा

प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने हाथों में तख्तियां उठाईं, जिन पर साफ लिखा था—“जेन-जी की मांग चुनाव नहीं, सुशासन है।” प्रदर्शनकारियों का तर्क था कि लगातार बदलती सरकारों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण आम जनता का भरोसा कमजोर हुआ है। उनका कहना है कि जब तक सभी प्रमुख दलों की साझा भागीदारी वाली सरकार नहीं बनेगी, तब तक न तो पारदर्शी प्रशासन संभव है और न ही निष्पक्ष चुनाव।

माइतीघर मंडला से पांच प्रदर्शनकारी हिरासत में

प्रदर्शन के दौरान माइतीघर मंडला क्षेत्र में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रविकिरण हमाल समेत पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया, जबकि प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उनकी शांतिपूर्ण आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। हिरासत में लिए गए युवाओं ने दोहराया कि उनकी मांग स्पष्ट है और वे सर्वदलीय सरकार के बिना चुनाव स्वीकार नहीं करेंगे।

पहले से घोषित था आंदोलन का कार्यक्रम

गौरतलब है कि जेन-जी समूहों ने रविवार को ही एक पत्रकार सम्मेलन कर सोमवार से नियमित आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि उनकी लड़ाई किसी एक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था और कथित कुशासन के खिलाफ है। इसी क्रम में सोमवार को माइतीघर मंडला में प्रदर्शन किया गया, जो अब गिरफ्तारी के बाद और अधिक चर्चा में आ गया है।

सुशीला कार्की सरकार के खिलाफ आंदोलन की घोषणा

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नियमित आंदोलन करेंगे। उनका आरोप है कि मौजूदा सत्ता व्यवस्था जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही है। जेन-जी समूहों का कहना है कि युवाओं की आवाज को अनदेखा कर चुनाव की ओर बढ़ना लोकतंत्र को कमजोर करेगा।

नेपाल की राजनीति में बढ़ती युवाओं की भूमिका

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह आंदोलन नेपाल में युवाओं की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता का संकेत है। जेन-जी प्रदर्शनकारी पारंपरिक राजनीति से अलग सोच और सुशासन को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं। सर्वदलीय सरकार की मांग दरअसल उस असंतोष को दर्शाती है, जो लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक कमजोरियों के कारण पनपा है।

आने वाले दिनों में बढ़ सकता है दबाव

माइतीघर मंडला से शुरू हुआ यह आंदोलन आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है। यदि हिरासत में लिए गए युवाओं को जल्द रिहा नहीं किया गया और उनकी मांगों पर संवाद शुरू नहीं हुआ, तो राजधानी समेत अन्य शहरों में भी प्रदर्शन फैलने की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल नेपाल की राजनीति में सर्वदलीय सरकार और चुनाव को लेकर बहस और तेज हो गई है।