उत्तरी सीमा पर फिर छाया संघर्ष का साया

बैंकॉक । कंबोडिया और थाईलैंड के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी तनाव सोमवार को उस समय खतरनाक मोड़ पर पहुँच गया, जब थाई सेना ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले शुरू कर दिए। यह कार्रवाई उस आरोप के बाद हुई, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता से हुए संघर्षविराम समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया। थाई सैन्य अधिकारियों के अनुसार, पूर्वी प्रांत उबोन रत्चाथानी के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुई ताजा झड़पों में एक थाई सैनिक की मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हुए हैं। थाई सेना का कहना है कि उनके जवानों पर पहले कंबोडिया की ओर से गोलीबारी की गई, जिसके जवाब में उन्होंने हवाई कार्रवाई की। उधर, कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि थाई सेना ने सोमवार सुबह उनके दो सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया। कंबोडिया ने दावा किया कि उनके सैनिकों ने किसी भी प्रकार की उकसाने वाली कार्रवाई नहीं की है और वह पूरी तरह संयम बरत रहे हैं।

जुलाई का पांच दिवसीय युद्ध: शांत हुए घाव फिर हुए ताज़ा

महज़ कुछ महीनों पहले ही, जुलाई में, दोनों देशों के बीच पांच दिनों तक संघर्ष चला था। उस दौरान भारी तोपखाने और रॉकेट दागे गए थे। इस हिंसा में कुल 48 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग तीन लाख लोगों को अपने घर छोड़कर अस्थायी शिविरों में जाना पड़ा था। ट्रंप और अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता के बाद संघर्षविराम लागू हुआ और अक्टूबर में कुआलालंपुर में विस्तारित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। लेकिन अब फिर वही तनाव उभर आया है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता गहराने लगी है।

लैंडमाइन विस्फोट ने बढ़ाया तनाव, संघर्षविराम पर लगी रोक

पिछले महीने सीमा पर हुए एक लैंडमाइन विस्फोट में थाईलैंड का एक सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके बाद थाई सरकार ने कंबोडिया के साथ हुआ संघर्षविराम समझौता अस्थायी रूप से रोक दिया। अब स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि थाई सेना ने सीमा से लगे चार जिलों से नागरिकों को निकाला है। सेना के अनुसार, अब तक 3.85 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है, जिनमें से 35 हजार से अधिक नागरिक राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि अगर हवाई हमले और गोलीबारी का सिलसिला इसी तरह जारी रहा, तो विस्थापित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।

सीमा विवाद की जड़ें सौ साल पुरानी

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1907 में फ्रांस ने कंबोडिया पर शासन करते हुए इस सीमा का नक्शा तैयार किया था। इसी नक्शे को लेकर दोनों देशों में संप्रभुता का विवाद एक सदी से अधिक समय से जारी है। 2011 में भी दोनों देशों के बीच एक सप्ताह तक तोपों की भीषण लड़ाई चली थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। उसके बाद दोनों राष्ट्रों ने संवाद के ज़रिए समाधान खोजने की कोशिश की, लेकिन ज़मीन पर तनाव समय-समय पर फिर उभर आता है।

मानवीय संकट गहराते संकेत: क्या संघर्ष और बढ़ेगा?

इस बार की झड़पें केवल सीमा पर गोलीबारी या सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं हैं। बड़े पैमाने पर हवाई हमले होने से संकेत मिल रहे हैं कि यह विवाद जल्द खत्म नहीं होगा। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों सेनाओं द्वारा एक-दूसरे पर संघर्षविराम तोड़ने के आरोपों के बाद स्थिति और जटिल हो सकती है। कई पड़ोसी राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठन स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह तनाव किसी बड़े सैन्य संकट का रूप ले सकता है।