सीमा विवाद और टूटे संघर्ष विराम पर मंथन, क्षेत्रीय शांति बहाली की कोशिश तेज

कुआलालंपुर। दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते तनाव को थामने के लिए अब आसियान देशों ने पहल तेज कर दी है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी संघर्ष को सुलझाने के उद्देश्य से सोमवार को मलयेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आसियान देशों के विदेश मंत्री एक मंच पर जुटेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, हालिया सैन्य झड़पों और टूट चुके संघर्ष विराम को दोबारा लागू कराने पर गहन चर्चा होने की संभावना है।

क्षेत्रीय विवादों में आसियान की दूसरी बड़ी पहल

गौरतलब है कि यह दूसरी बार है, जब आसियान संगठन के सदस्य देश अपने ही क्षेत्र के दो देशों के बीच बढ़े टकराव को शांत कराने के लिए सामूहिक रूप से आगे आए हैं। इससे पहले भी संगठन ने आंतरिक क्षेत्रीय विवादों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है। इस बार थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ते तनाव ने पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को प्रभावित करने की आशंका पैदा कर दी है, जिसे देखते हुए आसियान की सक्रियता बढ़ी है।

सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में बढ़ा टकराव

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद चला आ रहा है। इसी विवाद ने बीते जुलाई महीने में हिंसक रूप ले लिया, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले शुरू कर दिए। सीमा क्षेत्रों में गोलाबारी और सैन्य गतिविधियों के चलते आम नागरिकों में डर का माहौल बन गया था और कई इलाकों में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई थी।

ट्रंप की मौजूदगी में हुआ था संघर्ष विराम

जुलाई में बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष विराम कराया गया था। मलयेशिया में आयोजित एक आसियान सम्मेलन के दौरान ट्रंप की मौजूदगी में दोनों देशों ने औपचारिक रूप से संघर्ष विराम को स्वीकार किया था। उस समय उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे सीमा पर शांति बहाल होगी और बातचीत के जरिए विवाद का समाधान निकलेगा।

दो हफ्ते पहले टूटा संघर्ष विराम, फिर भड़की हिंसा

हालांकि यह शांति ज्यादा समय तक टिक नहीं सकी। करीब दो हफ्ते पहले संघर्ष विराम टूट गया और दोनों देशों के बीच एक बार फिर हमले शुरू हो गए। इसके बाद से सीमा क्षेत्रों में तनाव लगातार बना हुआ है। इसी स्थिति ने आसियान देशों को दोबारा सक्रिय होने पर मजबूर किया है, ताकि क्षेत्र में हालात और न बिगड़ें।

कुआलालंपुर बैठक से बड़ी उम्मीदें

कुआलालंपुर में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है। कूटनीतिक हलकों का मानना है कि यदि आसियान देश सामूहिक दबाव और संवाद के जरिए दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने में सफल होते हैं, तो संघर्ष विराम को दोबारा लागू कराने की दिशा में ठोस प्रगति हो सकती है। यह बैठक न केवल थाईलैंड और कंबोडिया के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिरता के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

क्षेत्रीय शांति की परीक्षा

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका कितनी प्रभावी है। आसियान के सामने यह एक बड़ी परीक्षा है कि वह अपने सदस्य देशों के बीच बढ़ते टकराव को किस हद तक शांत करा पाता है। आने वाले दिनों में इस बैठक के नतीजों पर पूरी दुनिया की नजर बनी रहेगी।