हर साल 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस (International Mountain Day) मनाया जाता है। यह दिन पर्वतीय क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, और उनकी पर्यावरणीय व सांस्कृतिक महत्ता को पहचानने और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2003 में स्थापित किया, और तब से यह पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।

थीम 2024: "पर्वतीय समुदायों के लिए टिकाऊ भविष्य"

इस वर्ष का थीम पर्वतीय समुदायों के विकास और उनके स्थायी जीवन के लिए अवसर बढ़ाने पर केंद्रित है। यह थीम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानता के प्रभावों से सुरक्षित रहें।


पर्वतों का महत्व

  1. जल का मुख्य स्रोत:
    विश्वभर में पीने के पानी का 60% से अधिक हिस्सा पर्वतीय क्षेत्रों से आता है। ये क्षेत्र नदियों और जलाशयों को पोषण देते हैं।
  2. जैव विविधता का खजाना:
    पर्वतों पर अनेक प्रकार की वनस्पतियां और जीव पाए जाते हैं, जिनमें से कई प्रजातियां केवल इन्हीं क्षेत्रों में मिलती हैं।
  3. पर्यावरण संतुलन:
    पर्वत पृथ्वी के जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बर्फ, ग्लेशियर, और प्राकृतिक आपदाओं से बचाने वाले प्राकृतिक अवरोधक हैं।
  4. सांस्कृतिक महत्व:
    पर्वत विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हिमालय को भारतीय संस्कृति में देवभूमि माना गया है।
  5. पर्यटन और आर्थिक योगदान:
    पर्वतीय पर्यटन कई देशों की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है। ट्रेकिंग, स्कीइंग, और पर्वतारोहण जैसे गतिविधियां पर्यटन को बढ़ावा देती हैं।

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पर्वतीय क्षेत्रों पर खतरे

  1. जलवायु परिवर्तन:
    ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है।
  2. अत्यधिक वनों की कटाई:
    पहाड़ों पर बढ़ती मानव गतिविधियों और वनों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है।
  3. जनसंख्या दबाव:
    पर्वतीय समुदाय तेजी से बढ़ती आबादी, शहरीकरण और सीमित संसाधनों का सामना कर रहे हैं।
  4. पर्यटन का दुष्प्रभाव:
    अस्थायी पर्यटन के कारण कचरे और प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।

भारत और पर्वत

भारत एक ऐसा देश है जहां पर्वतों का धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है। यहां के प्रमुख पर्वतीय क्षेत्रों में शामिल हैं:

  1. हिमालय:
    दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतमालाओं में से एक। यह न केवल जलवायु और मानसून को नियंत्रित करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  2. अरावली:
    यह भारत की सबसे प्राचीन पर्वतमाला है, जो राजस्थान में स्थित है।
  3. विंध्याचल:
    यह मध्य भारत की जीवन रेखा है और नर्मदा नदी की उत्पत्ति का स्थान है।
  4. सह्याद्री (पश्चिमी घाट):
    यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और जैव विविधता का केंद्र।

पर्वत संरक्षण के लिए प्रयास

  1. सतत विकास:
    पर्वतीय क्षेत्रों में खेती, पर्यटन और अन्य गतिविधियों को पर्यावरण के अनुकूल बनाना।
  2. जलवायु परिवर्तन से लड़ाई:
    ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और सतत ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।
  3. स्थानीय समुदायों की भागीदारी:
    पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को संरक्षण परियोजनाओं में शामिल करना।
  4. सरकारी नीतियां:
    सरकारें पर्वतीय संरक्षण के लिए विशेष कानून और योजनाएं बना रही हैं, जैसे हिमालय संरक्षण कार्यक्रम।

रोचक तथ्य

  1. पृथ्वी का 27% हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र है।
  2. विश्व की 10% आबादी पर्वतों में निवास करती है।
  3. माउंट एवरेस्ट, जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, 8,849 मीटर ऊंची है।
  4. भारतीय हिमालय क्षेत्र में लगभग 50,000 ग्लेशियर हैं।

अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य

  • पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना।
  • पर्वतीय समुदायों के लिए आर्थिक और सामाजिक अवसर बढ़ाना।

निष्कर्ष:
अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह पर्वतीय संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद करने का अवसर है। पर्वत हमारे जल, भोजन, और पर्यावरण के संतुलन का आधार हैं। इन्हें बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होगी। आइए, इस दिन के माध्यम से हम पर्वतों और उनके संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराएं।