27 मई से लागू हुए नए नियम, एकीकृत थिएटर कमांड की दिशा में बड़ा कदम
नई दिल्ली।
भारत की सुरक्षा व्यवस्था में एक नई ऐतिहासिक व्यवस्था लागू हो गई है। केंद्र सरकार ने 27 मई से तीनों सेनाओं—थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एकीकृत रूप से संचालित करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाते हुए, इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल एंड डिसिप्लिन) अधिनियम, 2023 के तहत बनाए गए नियमों को राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से प्रभावी कर दिया है। इसके अंतर्गत अब तीनों सेनाओं के कमांडरों को उनके अधीन आने वाले सशस्त्र बल कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का पूर्ण अधिकार मिल गया है।
क्या है नया प्रावधान?
अब से किसी भी संयुक्त सेवा कमांड—जैसे थिएटर कमांड, जॉइंट लॉजिस्टिक्स हब या किसी विशेष मिशन—का कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड, उसके अधीन काम कर रहे थल, जल और वायु सेना के कर्मियों पर एकसमान अनुशासनात्मक नियंत्रण रख सकेगा।
अब तक तीनों सेनाओं के पास अलग-अलग अनुशासनात्मक अधिनियम लागू थे—
- सेना के लिए आर्मी एक्ट, 1950,
- वायुसेना के लिए एयर फोर्स एक्ट, 1950,
- नौसेना के लिए नेवी एक्ट, 1957।
इनमें केवल संबंधित सेवा प्रमुख ही अनुशासनात्मक अधिकार रखते थे। लेकिन जब कोई जवान या अधिकारी किसी संयुक्त ऑपरेशन या संगठन में कार्यरत होता था, तो उस पर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता था। इस नई व्यवस्था ने इस संस्थागत कमजोरी को दूर कर दिया है।
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पृष्ठभूमि और प्रक्रिया
- मार्च 2023 में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में इस विधेयक को प्रस्तुत किया था।
- 15 अगस्त 2023 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।
- अब लगभग 9 महीने बाद, 27 मई 2025 को इसे आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
यह कानून सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत एकीकृत थिएटर कमांड्स की स्थापना की जा रही है। यह थिएटर कमांड देश के विभिन्न क्षेत्रों में सभी तीनों सेनाओं के संयुक्त संचालन की व्यवस्था करेगा।
इसके लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति की गई, जो तीनों सेनाओं के एकीकृत संचालन की निगरानी करेंगे। यह नया कानून इस प्रक्रिया को कानूनी और प्रशासनिक मजबूती प्रदान करेगा।
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क्यों ज़रूरी था यह बदलाव?
भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक परिस्थिति वाले देश में, जब तीनों सेनाएं एक साथ मिशन पर होती हैं, तो अनुशासन बनाए रखने में काफी जटिलताएं सामने आती थीं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी वायुसेना कर्मी को थलसेना के कमांड के अंतर्गत कार्य करना होता, तो उसके अनुशासनात्मक मामलों में अधिकार सीमित रहते थे। इससे संचालन में बाधाएं आती थीं।
इस नई व्यवस्था से—
- एकीकृत संचालन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ेगा
- अनुशासनात्मक कार्रवाई त्वरित और एकरूप होगी
- विभिन्न अधिनियमों के बीच टकराव की स्थिति नहीं बनेगी
- एकीकृत युद्ध संरचना (Unified War Doctrine) को मजबूती मिलेगी
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आईएसओ को क्या अधिकार मिलेंगे?
'इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन' (ISO) के कमांडर को अब ये अधिकार होंगे—
- अनुशासनात्मक कार्रवाई करना
- न्यायिक प्रक्रिया शुरू करना
- अनुशासनहीनता के मामलों का निपटान करना
- अलग-अलग सेवा के सदस्यों पर एकसमान प्रशासनिक नियंत्रण रखना
इससे यह सुनिश्चित होगा कि थिएटर कमांड या जॉइंट ऑपरेशन में तैनात कर्मियों की जवाबदेही और नियंत्रण में कोई भ्रम या अस्पष्टता न रहे।
रक्षा रणनीति के लिए क्या है इसका महत्व?
यह कानून सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि भारत की आधुनिक युद्ध प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है।
- इससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ेगा
- मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस (Land-Air-Sea) की क्षमता बढ़ेगी
- आंतरिक समन्वय और निगरानी व्यवस्था बेहतर होगी
- और सबसे अहम बात, भारत की सुरक्षा संरचना को एक नया आधार मिलेगा
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