विशाखापत्तनम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की मौजूदगी में नौसैनिक बेड़े में हुआ शामिल, 300 मीटर गहराई तक कर सकता है अभियान

नौसेना को मिला पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल INS निस्तार, रक्षा क्षमताओं को मिलेगा बढ़ावा

विशाखापत्तनम।
भारतीय नौसेना की ताकत में एक और अहम कड़ी जुड़ गई है। देश की पहली स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) 'आईएनएस निस्तार' को शुक्रवार को आधिकारिक रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी विशेष रूप से मौजूद रहे।

यह कार्यक्रम विशाखापत्तनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में आयोजित किया गया, जहां पूरी सैन्य गरिमा के साथ इस उन्नत युद्धपोत को देश को समर्पित किया गया। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा निर्मित इस जहाज को 8 जुलाई 2025 को नौसेना को सौंपा गया था। यह पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।

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नया जहाज, नई क्षमता: गहराई में राहत और बचाव का दमदार उपकरण

आईएनएस निस्तार का नाम संस्कृत शब्द 'निस्तार' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'उद्धार' या 'बचाव'। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि यह समुद्र की 300 मीटर गहराई तक कार्य कर सकता है, और ज़रूरत पड़ने पर पनडुब्बियों में फंसे जवानों को 1000 मीटर गहराई तक राहत पहुंचाने में भी सक्षम है।

यह जहाज एक मदरशिप की भूमिका निभाता है जो डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) को ले जा सकता है। यह क्षमता दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही है।

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118 मीटर लंबाई और 10 हजार टन वजनी आईएनएस निस्तार की खासियतें

  • लंबाई: 118 मीटर
  • वजन: लगभग 10,000 टन
  • ऑपरेशनल गहराई: सामान्य कार्यों में 300 मीटर, बचाव में 1000 मीटर तक
  • डिजाइन और निर्माण: पूरी तरह स्वदेशी, 80% से अधिक उपकरण भारत में बने
  • कंपनियां: देशभर की 120 MSME कंपनियों की भागीदारी
  • मुख्य कार्य: पनडुब्बियों के लिए गहरे समुद्र में राहत और बचाव, मरम्मत, विशेष सैन्य अभियान

पुरानी विरासत को आधुनिक रूप में मिला नया जीवन

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा, “पुराने जहाज कभी मरते नहीं, वे सिर्फ नए रूप में लौटते हैं। आईएनएस निस्तार इसका जीवंत उदाहरण है।” उन्होंने कहा कि यह जहाज भारतीय नौसेना की डाइविंग और सबमरीन रेस्क्यू क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा।

भारत को पहली बार वर्ष 1969 में सोवियत संघ से डाइविंग सपोर्ट वेसल मिला था, जिसे करीब दो दशक की सेवा के बाद रिटायर कर दिया गया था। अब, वर्षों बाद देश ने अपनी तकनीक से ऐसा जहाज खुद बनाया है, जो कहीं अधिक आधुनिक और सक्षम है।


आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूती से कदम

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इस अवसर पर कहा, "आईएनएस निस्तार सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।" उन्होंने बताया कि अब भारत हथियार आयातक से निर्यातक बनता जा रहा है। वर्ष 2025 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपये के हथियार निर्यात किए हैं, और आने वाले वर्षों में यह लक्ष्य 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाने का है।

उन्होंने कहा, "नौसेना का यह नया जहाज भारत की उन्नत निर्माण क्षमताओं और तकनीकी आत्मनिर्भरता को दुनिया के सामने साबित करता है।"

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आधुनिक तकनीक और बहुउद्देश्यीय उपयोग

आईएनएस निस्तार में अत्याधुनिक डाइविंग और रेस्क्यू उपकरण लगे हुए हैं जो समुद्र के भीतर लंबे समय तक ऑपरेशन में मदद करते हैं। यह जहाज विशेष रूप से पनडुब्बियों की आपात स्थितियों, गहरे समुद्र में मलबा निकालने, युद्धपोतों की मरम्मत, विशेष कमांडो ऑपरेशन और वैज्ञानिक अनुसंधान में इस्तेमाल किया जाएगा।