जीआरएसई ने किया समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा
कोलकाता। भारतीय नौसेना को जल्द ही दो और अत्याधुनिक युद्धपोतों की सौगात मिलने वाली है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस हिमगिरि और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अंद्रोथ के समुद्री परीक्षण (सी ट्रायल) सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की है। ये परीक्षण 3 मार्च को पूरे किए गए, जो किसी भी युद्धपोत के निर्माण की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है।
आईएनएस हिमगिरि: भारत का सबसे बड़ा स्टील्थ फ्रिगेट
आईएनएस हिमगिरि, प्रोजेक्ट 17-ए के तहत विकसित किए जा रहे आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स में से एक है। इसका निर्माण जीआरएसई ने किया है और यह भारत में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा फ्रिगेट है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- विस्थापन क्षमता: 6,670 टन
- मुख्य हथियार प्रणाली:
- ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल – दुश्मन के जलपोतों और सतह पर लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम
- बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल – हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए
- स्टील्थ तकनीक: इसे अत्याधुनिक स्टील्थ डिज़ाइन के साथ तैयार किया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम है।
आईएनएस हिमगिरि, प्रोजेक्ट 17-ए के तहत निर्मित होने वाला दूसरा युद्धपोत है। इससे पहले, इसी प्रोजेक्ट के तहत पहला युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने तैयार किया था। इसे 15 जनवरी 2024 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना को सौंपा था।
आईएनएस अंद्रोथ: समुद्री खतरों से निपटने में सक्षम
आईएनएस अंद्रोथ, आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) शैलो वाटर क्राफ्ट्स में से एक है, जिसे जीआरएसई द्वारा तैयार किया जा रहा है। यह अपेक्षाकृत छोटा युद्धपोत है, लेकिन इसकी क्षमताएं किसी बड़े पोत से कम नहीं हैं। इसकी खासियतें इस प्रकार हैं:
- मुख्य कार्य: समुद्री सतह के नीचे छिपे दुश्मन के पनडुब्बी और अन्य खतरों का पता लगाना और उन्हें नष्ट करना
- तकनीकी विशेषताएं: आधुनिक सोनार और टोही उपकरणों से लैस
- गतिशीलता: उथले पानी और तटीय इलाकों में तेज़ी से संचालित होने की क्षमता
आईएनएस अंद्रोथ के अलावा, जीआरएसई ने आईएनएस अर्नाला का भी समुद्री परीक्षण पूरा कर लिया है। यह युद्धपोत भी जल्द ही नौसेना को सौंपा जाएगा। आईएनएस अर्नाला को रक्षा मंत्री पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया था, क्योंकि इसे ‘सबसे शांत युद्धपोत’ के रूप में डिजाइन किया गया था।
समुद्री परीक्षण में किन चीजों का हुआ निरीक्षण?
समुद्री परीक्षण के दौरान युद्धपोतों की गति, संचालन क्षमता, ऑन-बोर्ड सिस्टम और हथियार प्रणालियों का गहन निरीक्षण किया गया। परीक्षणों के दौरान भारतीय नौसेना, जीआरएसई और विभिन्न मान्यता प्राप्त रक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
जल्द नौसेना को मिलेंगे दोनों युद्धपोत
आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस अंद्रोथ के सफल परीक्षणों के बाद अब इन्हें भारतीय नौसेना को जल्द सौंपने की प्रक्रिया शुरू होगी। इन अत्याधुनिक युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से भारत की समुद्री सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं को एक नई मजबूती मिलेगी।
और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!