इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शुक्रवार को इंदौर में एक भव्य घोष वादन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत प्रमुख अतिथि के रूप में शामिल हुए। यह कार्यक्रम दशहरा मैदान स्थित संघ कार्यालय सुदर्शन से दोपहर 3:15 बजे शुरू हुआ, जहां डॉ. भागवत ने ध्वजारोहण किया। इसके बाद, मालवा प्रांत के 28 जिलों से आए 870 घोष वादकों ने अपने उत्कृष्ट संगीत और सामूहिक प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।
‘राम आएंगे’ भजन की सम्मोहक धुन
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से घोष दल ने वंशी पर “राम आएंगे अवध में राम आएंगे…” भजन की धुन पर शानदार प्रस्तुति दी, जो दर्शकों के दिलों को छू गई। इस भव्य संगीत कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर 100 की आकृति बनाई, जिससे एकता और सामूहिकता का संदेश दिया गया। इसके अलावा, स्वयंसेवकों ने शिवलिंग और स्वस्तिक की आकृतियाँ भी बनाई, जो भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतीक थीं।
डॉ. भागवत का संबोधन: हम अब विश्व पटल पर खड़े हैं
कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में संघ की ऐतिहासिक भूमिका और उसकी सांस्कृतिक परंपराओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक साथ इतने स्वयंसेवकों द्वारा संगीत का प्रस्तुतीकरण करना एक अत्यंत अद्भुत घटना है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ ने अपनी रण संगीत परंपरा को पुनः जागृत किया है, जो पहले विलुप्त हो गई थी। महाभारत में पांडवों द्वारा युद्ध के समय घोष करने का उदाहरण देते हुए डॉ. भागवत ने बताया कि संघ ने भी इसे पुनः जीवित किया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य केवल शारीरिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से देशभक्ति और मानवता के मूल्य भी सिखाए जाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारा देश दरिद्र नहीं है, हम अब विश्व पटल पर खड़े हैं।” उनके अनुसार, संघ के कार्यक्रमों से मनुष्य के सद्गुणों में वृद्धि होती है, और इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि देश सेवा और कर्तव्य पालन है।
संगीत की विशेष भूमिका
डॉ. भागवत ने कहा कि सभी लोग संगीत के अनुरागी होते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं कि हर कोई संगीत का साधक भी हो। उन्होंने इस संगीत कार्यक्रम को एक साधना के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि संघ ने शारीरिक गतिविधियों के साथ-साथ संगीत को भी सीखा और उसे अपनी परंपरा का हिस्सा बनाया। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संगीत की धुनों पर आधारित व्यायाम योग और संचलन के लिए अनुकूल धुनें तैयार की गई हैं, जो संघ की विशेष पहचान बन चुकी हैं।
कार्यक्रम में मंत्री और विधायक भी शामिल हुए
इस कार्यक्रम में विभिन्न भाजपा नेताओं ने भी भाग लिया। मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, मंत्री विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, और जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा सहित अन्य प्रमुख नेताओं ने इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में लगभग 12,000 से 15,000 लोग शामिल हुए, जिसमें स्वयंसेवक, स्थानीय गणमान्य लोग और कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया।
समारोह का महत्व
यह कार्यक्रम संघ के शताब्दी वर्ष की शानदार शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें संगीत, शारीरिक साधना और सांस्कृतिक धरोहर को एक साथ प्रस्तुत किया गया। इस आयोजन ने संघ के मूल्यों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया। कार्यक्रम में प्रदर्शित हुई सामूहिक शक्ति और एकता ने यह साबित कर दिया कि संघ अब विश्व पटल पर मजबूती से खड़ा है।
इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि संघ का उद्देश्य न केवल शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है, बल्कि देश की संस्कृति, स्वाभिमान, और सामूहिकता को प्रगति की दिशा में सशक्त बनाना भी है।