- नौसैनिकों से मुलाकात की और भारतीय नौसेना की तैयारियों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया
गोवा। देश की समुद्री ताकत का प्रतीक आईएनएस विक्रांत शुक्रवार को उस समय एक विशेष क्षण का साक्षी बना जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां नौसैनिकों से मुलाकात की और भारतीय नौसेना की तैयारियों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने उन्हें आश्वस्त किया कि भारतीय नौसेना हर परिस्थिति में जवाब देने को तैयार है, चाहे वह कहीं भी, कभी भी और किसी भी रूप में हो।
“हम तैयार हैं – समुद्र से संदेश”: नौसेना प्रमुख का आत्मविश्वास
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी क्षमताओं की परीक्षा हुई और हमने साहस, समन्वय और संकल्प के साथ चुनौती को पार किया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह अभियान सिर्फ एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि सैन्य नेतृत्व और राष्ट्रीय रणनीति की एक अद्वितीय मिसाल भी है।
“नए भारत के नए नॉर्मल” के लिए तैयार है नौसेना
नौसेना प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय नौसेना अब पारंपरिक मोर्चों तक सीमित नहीं, बल्कि वह भारत के नए नॉर्मल – जिसमें सीमा से परे की चुनौतियाँ भी शामिल हैं – का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हम समुद्र से लेकर साइबर स्पेस तक, हर मोर्चे पर चौकस और सक्षम हैं।”
#WATCH | Goa | Chief of the Naval Staff, Admiral Dinesh K Tripathi says, "I assure you (Defence Minister Rajnath Singh) that the Indian Navy is always ready for this new normal and ready to face any challenge…" pic.twitter.com/zQ7kyNQQzS
— ANI (@ANI) May 30, 2025
रक्षा मंत्री की सराहना और रणनीतिक संदेश
रक्षा मंत्री की उपस्थिति को लेकर एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “राजनाथ सिंह का नेतृत्व और समर्थन ही ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई को संभव बनाता है। नौसेना को उन पर भरोसा है, और वह हमारे साथ खड़े हैं – यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
आईएनएस विक्रांत: शक्ति और संकल्प का मंच
आईएनएस विक्रांत पर हुआ यह आयोजन केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति और राजनीतिक-सैन्य नेतृत्व के सामंजस्य का संदेश था। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब भारत समुद्री क्षेत्र में चीन की आक्रामकता और इंडो-पैसिफिक रणनीति के तहत अपनी भूमिका को स्पष्ट रूप से सामने रख रहा है। रक्षा मंत्री की यह यात्रा न केवल नौसैनिकों का मनोबल बढ़ाने का कार्य है, बल्कि इससे दुनिया को यह संकेत भी गया कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक आक्रामकता की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।