- वायुसेना को एकीकृत कमान के तहत लाने के लिए 27 मई को एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की गई
नई दिल्ली। भारत की सैन्य रणनीति अब समन्वय की दिशा में एक बड़े और निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। थल सेना, नौसेना और वायुसेना को एकीकृत कमान के तहत लाने के लिए 27 मई को एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की गई, जिसके माध्यम से ‘अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023’ के नियमों को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
पाकिस्तान तनाव के बीच निर्णायक फैसला
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में यह अधिसूचना और भी ज्यादा रणनीतिक महत्व रखती है। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कदम संयुक्त संचालन, अनुशासन और प्रशासन में दक्षता लाने के साथ-साथ भविष्य के किसी भी सैन्य अभियान में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को मजबूती देगा।
अब एक ही कमांड के अधीन होंगे ऑपरेशन
नए नियमों के तहत आइएसओ के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को उनके अधीन सभी सेवा सदस्यों पर कानूनी रूप से नियंत्रण और अनुशासन का अधिकार मिलेगा। इसका अर्थ यह है कि किसी एक कमांडर के अधीन तीनों सेनाओं के अधिकारी व जवान काम करेंगे, जिससे जवाबी कार्रवाइयों, तालमेल और ऑपरेशन में तेजी लाई जा सकेगी।
सीडीएस की भूमिका और थिएटर कमान की तैयारी
2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति के साथ भारत ने संयुक्त थिएटर कमान की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया था। यह नया नियम उसी प्रक्रिया की कानूनी और प्रशासनिक नींव को मजबूत करता है। आने वाले समय में अलग-अलग थिएटर के लिए अलग-अलग कमांडर नियुक्त किए जाएंगे जो एकीकृत रूप से सैन्य ताकत का संचालन करेंगे।
अनुशासनिक मामलों में तेजी, कार्यवाही में दोहराव खत्म
नियमों में यह भी प्रावधान किया गया है कि अनुशासनिक कार्यवाही का निपटारा तेज़ और केंद्रीकृत तरीके से हो। इससे उन परिस्थितियों से बचा जा सकेगा, जहां एक ही मामले में अलग-अलग सेनाओं के नियम लागू होकर कार्यवाही को जटिल बना देते थे। अब तीनों सेनाओं की विशिष्ट सेवा शर्तों में बदलाव किए बिना संयुक्त कार्रवाई संभव होगी।
किस पर लागू होंगे ये नियम?
यह कानून सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957, और वायुसेना अधिनियम 1955 के अंतर्गत आने वाले सभी सैन्यकर्मियों पर लागू होगा। इसका उद्देश्य स्पष्ट है: सेनाओं के बीच कमांड संरचना, अनुशासन और प्रशासन को एक रूप देना।
रणनीतिक दृष्टिकोण से क्या है इसका अर्थ?
यह बदलाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भारत की सैन्य नीति का परिष्कार है। चीन की सैन्य संरचना पहले से ही इसी प्रकार के थिएटर कमांड पर आधारित है। पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव, और बहु-आयामी खतरों के बीच, भारत का यह कदम भविष्य में तेज़, समन्वित और निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता को सुनिश्चित करता है।