भारतीय नौसेना को मिला अत्याधुनिक युद्धपोत ‘हिमगिरि’, समुद्री सुरक्षा को मिली नई ताकत
कोलकाता/नई दिल्ली। भारतीय नौसेना को स्वदेशी निर्माण क्षमता का एक और शक्तिशाली उदाहरण ‘हिमगिरि’ के रूप में प्राप्त हुआ है। यह गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा तैयार किया गया है। इस युद्धपोत को प्रोजेक्ट 17A के तहत बनाया गया है और इसे औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।

समंदर में भारत की नई शक्ति ‘हिमगिरि’
‘हिमगिरि’ केवल एक युद्धपोत नहीं है, बल्कि यह भारत की समुद्री रणनीतिक ताकत, आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। 149 मीटर लंबा और 6,670 टन वजनी यह युद्धपोत GRSE के 65 सालों के इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे उन्नत पोत है।
इस पोत का निर्माण रक्षा मंत्रालय की बहुप्रतीक्षित योजना प्रोजेक्ट 17ए के तहत हुआ है, जिसके अंतर्गत GRSE को तीन गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट बनाने का दायित्व सौंपा गया था। ‘हिमगिरि’ इस श्रृंखला का पहला पोत है और इसे पूर्वी नौसेना कमान के चीफ स्टाफ ऑफिसर (टेक्निकल), रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने नौसेना की ओर से स्वीकार किया।
स्वदेशी निर्माण की मिसाल
‘हिमगिरि’ न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की भावना को भी दर्शाता है। GRSE द्वारा निर्मित यह पोत अब तक का 801वां पोत है, जिसमें से 112 युद्धपोत हैं — यह देश के किसी भी शिपयार्ड द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा युद्धपोतों का रिकॉर्ड है।
इस परियोजना की कुल लागत 21,833.36 करोड़ रुपये से अधिक है। इसका प्रत्यक्ष लाभ MSME सेक्टर, स्टार्टअप्स, और मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) को मिला है। इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं, और देश के नौसेना निर्माण इकोसिस्टम को नई ऊर्जा मिली है।

तकनीकी विशेषताएं: समुद्र में हर मोर्चे पर सक्षम
‘हिमगिरि’ को ऐसे समय में नौसेना में शामिल किया गया है जब भारत को अपने समुद्री क्षेत्र में कई रणनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह युद्धपोत सतह, हवा और पनडुब्बी हमलों से निपटने में सक्षम है। इसमें निम्नलिखित अत्याधुनिक तकनीकें और सुविधाएं शामिल हैं:
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल
- बराक-8 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल
- उन्नत AESA रडार सिस्टम
- आधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली (Combat Management System)
- डीजल और गैस टर्बाइन का संयोजन आधारित इंजन प्रणाली (CODAG)
- हेलीकॉप्टर संचालन की संपूर्ण सुविधा
- 225 नौसेना कर्मियों के लिए आधुनिक आवास व्यवस्था
ये सभी तकनीकें इसे एक मल्टी-रोल युद्धपोत बनाती हैं, जो किसी भी नौसैनिक परिस्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
भविष्य की दृष्टि: आत्मनिर्भरता से सामरिक मजबूती की ओर
‘हिमगिरि’ का नौसेना में शामिल होना भारत के लिए सिर्फ एक रक्षा उपकरण की प्राप्ति नहीं है, बल्कि यह एक सामरिक और औद्योगिक दृष्टि से मील का पत्थर है। स्वदेशी तकनीक, निर्माण और संचालन प्रणाली पर आधारित यह युद्धपोत भारत की मेक इन इंडिया नीति का मजबूत उदाहरण है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब न केवल अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा कर सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी समुद्री उपस्थिति को भी सशक्त बना रहा है।

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