- भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ सौंपा गया
नई दिल्ली। भारत की समुद्री सुरक्षा को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए गुरुवार को भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ सौंपा गया। यह युद्धपोत ‘प्रोजेक्ट 17ए’ के तहत निर्मित उन सात स्टील्थ मल्टी-रोल फ्रिगेट्स में से तीसरा है, जिन्हें भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाना है। ‘हिमगिरि’ को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा स्वदेशी तकनीक और निर्माण सामग्री के साथ तैयार किया गया है। इसका वजन लगभग 6670 टन है और इसकी लंबाई 149 मीटर है। यह जहाज दुश्मनों की रडार पर पकड़ में न आने की तकनीक से लैस है, जो इसे समुद्री युद्ध के लिए बेहद खतरनाक बनाता है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि
‘हिमगिरि’ की सौंपने की प्रक्रिया ने भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है। इससे पहले इसी परियोजना के अंतर्गत ‘उदयगिरि’ नामक फ्रिगेट को भी तैयार किया गया था, जिसे मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने बनाया था। ‘उदयगिरि’ को 1 जुलाई को नौसेना को सौंपा गया था। दोनों ही जहाजों को अगस्त 2025 के अंत तक भारतीय नौसेना में आधिकारिक रूप से शामिल किए जाने की योजना है। इससे नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होने की संभावना है।
क्या है प्रोजेक्ट 17A?
‘प्रोजेक्ट 17A’ भारतीय नौसेना का महत्वाकांक्षी स्टील्थ युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम है, जिसके तहत कुल सात उन्नत फ्रिगेट्स बनाए जा रहे हैं। इन जहाजों को आधुनिक सेंसर, हथियार प्रणाली, लड़ाकू नियंत्रण प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से लैस किया गया है। इस परियोजना के तहत तैयार किए जा रहे जहाज रडार पर पकड़ में न आने की विशेषताओं से युक्त हैं और ये सतह से सतह, सतह से वायु और पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं से लैस हैं। साथ ही, इनमें लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें और अत्याधुनिक सोनार सिस्टम भी शामिल हैं।
समुद्री सुरक्षा को मिलेगी नई धार
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘हिमगिरि’ जैसे युद्धपोत भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक मजबूती से स्थापित समुद्री शक्ति के रूप में उभारने में मदद करेंगे। चीन जैसे देशों की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारत के पास अब ऐसी तकनीकी और सामरिक क्षमता है, जो किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। इसके अलावा, इन जहाजों का स्वदेशी निर्माण भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) को भी नई ऊंचाई प्रदान करता है। इससे न केवल विदेशी निर्भरता घटेगी, बल्कि घरेलू उद्योग और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।