राजनाथ सिंह ने कहा – “हनुमान जी का भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है”
भारतीय वायुसेना अंतरिक्ष सेमीनार में शामिल हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह | स्पेस से भारत का नजारा
नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित इंडियन एयरफोर्स स्पेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने अंतरिक्ष मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन पी. वी. नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित किया। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल ए. पी. सिंह भी मौजूद रहे।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने विशेष रूप से शुभांशु शुक्ला का जिक्र करते हुए कहा –
“मुझे बताया गया है कि आप बजरंग बली के भक्त हैं। आपने अंतरिक्ष में कई बार हनुमान चालीसा पढ़ी होगी। हनुमान जी का भक्त जब आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटता है, तो यह केवल विज्ञान की जीत नहीं होती बल्कि यह विश्वास और साहस की गूंज भी होती है।”
आज भारत चन्द्रमा से लेकर, मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। आज भारत गगनयान जैसे मिशन के लिए भी, पूरी तरह तैयार है। मैं इसे केवल तकनीकी उपलब्धि के रूप में नहीं देखता, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय है। pic.twitter.com/GmGfUzUFr4
— Rajnath Singh (@rajnathsingh)आज भारत चन्द्रमा से लेकर, मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। आज भारत गगनयान जैसे मिशन के लिए भी, पूरी तरह तैयार है। मैं इसे केवल तकनीकी उपलब्धि के रूप में नहीं देखता, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय है। pic.twitter.com/GmGfUzUFr4
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 24, 2025
स्पेस से भारत का नजारासम्मान ग्रहण करते हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनके पास एक क्लिप है जिसमें उन्होंने स्पेस से भारत को कैप्चर करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा –
“स्पेस से भारत वाकई बहुत खूबसूरत दिखता है। खासकर रात के समय जब हिंद महासागर के ऊपर से साउथ से नॉर्थ की ओर बढ़ते हैं और भारत के ऊपर से गुजरते हैं, तब वह नजारा जीवन के सबसे अद्भुत पलों में से एक होता है।”
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विज्ञान और अध्यात्म का संगम
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां सिर्फ तकनीकी प्रगति का उदाहरण नहीं हैं बल्कि वे देश की आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक मूल्यों की भी झलक पेश करती हैं। उन्होंने कहा कि वायुसेना और अंतरिक्ष अनुसंधान में यह साझेदारी आने वाले समय में भारत की रणनीतिक क्षमता को और अधिक सशक्त बनाएगी।
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