हरमनप्रीत ने किया भांगड़ा, प्रतिका रावल व्हीलचेयर पर पहुंचीं; भारत की वर्ल्ड कप जीत पर मैदान में छलका जश्न
नवी मुंबई, 3 नवंबर (हि.स.)।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रविवार को इतिहास रचते हुए दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर पहली बार महिला वनडे विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। जैसे ही डीवाई पाटिल स्टेडियम में जीत की गूंज गूंजी, मैदान उत्सव स्थल में बदल गया। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टीम इंडिया ने 47 साल का सूखा खत्म किया और इसके बाद मैदान पर खुशी का माहौल ऐसा था, जैसे देशभर की भावनाएं वहां उमड़ पड़ी हों।
हरमनप्रीत कौर का भांगड़ा, स्टेडियम में छाया जश्न का माहौल
फाइनल जीत के बाद जब कप्तान हरमनप्रीत कौर ट्रॉफी लेने के लिए मंच पर पहुंचीं, तो भावनाएं अपने चरम पर थीं। उन्होंने ट्रॉफी उठाते ही पारंपरिक अंदाज में भांगड़ा करना शुरू कर दिया। पूरी टीम झूम उठी और स्टेडियम में भारत माता की जय के नारे गूंज उठे। खिलाड़ियों के चेहरों पर गर्व और खुशी दोनों झलक रही थी। हरमनप्रीत ने कहा, “यह सिर्फ एक कप नहीं, बल्कि हर भारतीय महिला का सपना है जो आज सच हुआ।”
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प्रतिका रावल व्हीलचेयर पर पहुंचीं, जीत में शामिल हुईं दिल से
टीम की सलामी बल्लेबाज प्रतिका रावल, जो टूर्नामेंट के बीच में बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में चोटिल हो गई थीं, फाइनल मुकाबले में भले नहीं खेल सकीं, लेकिन उनकी उपस्थिति ने पूरे स्टेडियम को भावुक कर दिया।
वह व्हीलचेयर पर बैठकर मैदान में पहुंचीं और जीत के बाद साथियों के साथ ट्रॉफी के पास पहुंचीं। जैसे ही उन्होंने टीम के साथ डांस किया, दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। प्रतिका ने इस वर्ल्ड कप में 7 मैचों में 308 रन बनाए और भारत की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी मुस्कान और जज्बा इस बात का प्रतीक बना कि “टीम से बाहर होने पर भी आप टीम की आत्मा बने रह सकते हैं।”
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अमनजोत कौर का कैच बना भारत की जीत का टर्निंग पॉइंट
मैच के दौरान एक ऐसा पल आया जिसने फाइनल का रुख पूरी तरह बदल दिया। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट 101 रन बनाकर शतक पूरा कर चुकी थीं और मैच को अपनी टीम के पक्ष में मोड़ रही थीं। तभी भारतीय ऑलराउंडर अमनजोत कौर ने सीमा रेखा के पास शानदार कैच लपककर लौरा को पवेलियन भेजा।
यह कैच भारत के लिए निर्णायक साबित हुआ और यहीं से दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदें टूट गईं। उस पल के बाद मैदान में मौजूद हर दर्शक ने महसूस किया कि “अब जीत भारत की है।”
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सुनिधि चौहान की आवाज़ में गूंजा राष्ट्रगान, सचिन तेंदुलकर ने बढ़ाया समारोह का गौरव
फाइनल मुकाबले की शुरुआत एक भावनात्मक दृश्य से हुई, जब जानी-मानी गायिका सुनिधि चौहान ने भारत का राष्ट्रगान गाया। उनकी आवाज़ से पूरा स्टेडियम “जन गण मन” की लहर में डूब गया।
इस ऐतिहासिक पल को और खास बना दिया महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने, जो ट्रॉफी लेकर मैदान में उतरे। राष्ट्रगान के बाद उन्होंने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया और बाद में मंच पर विजेता ट्रॉफी प्रेजेंट की। सचिन के साथ आईसीसी चीफ जय शाह भी मौजूद रहे।
सचिन ने मैच देखने के बाद कहा, “इन बेटियों ने देश को गौरवान्वित किया है, यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।”
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रोहित शर्मा की आंखों में छलके गर्व के आंसू
फाइनल मुकाबले में भारतीय महिला टीम का उत्साह बढ़ाने पहुंचे पूर्व पुरुष टीम कप्तान रोहित शर्मा भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए।
रोहित अपनी पत्नी रितिका और बेटी समायरा के साथ स्टेडियम में मौजूद थे। जैसे ही भारत ने जीत दर्ज की, कैमरों ने रोहित की आंखों में छलकते गर्व और खुशी के आंसू कैद किए।
वीवीएस लक्ष्मण भी उनके साथ मौजूद थे और दोनों ने भारतीय खिलाड़ियों को ताली बजाकर सम्मानित किया। रोहित ने बाद में कहा, “यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक नई शुरुआत है।”
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ऑस्ट्रेलिया से भारतीय पुरुष टीम का समर्थन, दूर रहकर भी जुड़ी भावनाएं
दिलचस्प बात यह रही कि जब भारत की महिला टीम विश्व कप फाइनल खेल रही थी, उसी समय ऑस्ट्रेलिया में भारतीय पुरुष टीम तीसरा टी-20 मैच खेल रही थी।
भारत ने वह मैच 5 विकेट से जीत लिया, और मुकाबला खत्म होने के तुरंत बाद पूरी पुरुष टीम — जिसमें कप्तान, कोच और सपोर्ट स्टाफ शामिल थे — टीवी स्क्रीन पर महिला टीम का फाइनल देखने लगी।
वीडियो कॉल के जरिए उन्होंने महिला खिलाड़ियों को बधाई दी और दोनों टीमों के बीच “डबल सेलिब्रेशन” का माहौल बन गया।
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देशभर में जश्न का माहौल, महिला क्रिकेट का नया अध्याय शुरू
भारत की इस जीत के बाद पूरे देश में जश्न का माहौल रहा। सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों के नाम ट्रेंड करने लगे — “शेफाली का जोश, दीप्ति की गेंदबाजी और हरमनप्रीत की कप्तानी” को लेकर लोगों ने गर्व जताया।
देशभर के क्रिकेटप्रेमियों ने कहा कि यह जीत केवल खेल की नहीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति की विजय है।
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यह वर्ल्ड कप सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं था — यह भारतीय महिला क्रिकेट के आत्मविश्वास, मेहनत और समर्पण की कहानी थी। हर खिलाड़ी ने इस जीत में अपनी भूमिका निभाई और पूरे देश को यह महसूस कराया कि अब भारत की बेटियां हर क्षेत्र में विश्व विजेता बनने का सामर्थ्य रखती हैं।
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