- वैश्विक मंच पर सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रह सकती
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रह सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद, स्थायी विकास पर फोकस और स्थानीय पूंजी निर्माण में बढ़त इसे वित्त वर्ष 2026 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बना सकती है।
चौथी तिमाही में 7.4% की जीडीपी ग्रोथ
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.4% दर्ज की गई, जो कि मजबूत पूंजी निर्माण और उद्योगों की वापसी का संकेत है। इसी तिमाही में:
- निर्माण क्षेत्र में 10.8% की बढ़त हुई,
- विनिर्माण क्षेत्र में 4.8% की वृद्धि,
- सेवा क्षेत्र ने 7.3% की दर से बढ़त दर्ज की।
वहीं पूरे वित्त वर्ष 2025 की अनुमानित वार्षिक वृद्धि 6.5% रहने की संभावना है।
घरेलू बचत और पूंजी निर्माण बना आधार
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष के अनुसार, देश में घरेलू बचत दर में वृद्धि और स्थानीय वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के चलते भारत को विकास के लिए विदेशी मदद की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मांग आधारित मुद्रास्फीति पर दबाव बेहद सीमित रहने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी। पूंजी निर्माण ने पूरे वर्ष में 9.4% की सालाना वृद्धि दर्ज की है और वित्त वर्ष 2025 में कुल पूंजी निर्माण वृद्धि 7.1% रहने का अनुमान है।
निर्यात बढ़ा, आयात घटा
- वर्ष 2025 के दौरान:
- निर्यात में 6.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आयात में 3.7% की गिरावट आई।
यह परिदृश्य अमेरिकी टैरिफ अस्थिरता के बावजूद निर्यात की मजबूती को दर्शाता है।
उद्योग और सेवा दोनों में संतुलित बढ़त
चौथी तिमाही में लगभग सभी क्षेत्रों ने संतुलित और सकारात्मक विकास दिखाया:
- उद्योग क्षेत्र में 6.5% की वृद्धि,
- सेवा क्षेत्र में 7.3% की वृद्धि।
इसके साथ ही, निजी उपभोग व्यय (PFCE) में सालाना 7.2% की बढ़ोतरी दर्ज हुई, जिससे यह स्पष्ट है कि घरेलू मांग अब भी भारत की आर्थिक ऊर्जा का बड़ा स्रोत बनी हुई है।
संभावित जोखिम: भू-राजनीतिक तनाव और बाहरी झटके
एसबीआई रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि भारत की विकास यात्रा में भू-राजनीतिक जोखिम, वैश्विक ब्याज दरें और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति जैसे बाहरी कारक रुकावट बन सकते हैं। फिर भी, भारत की स्थानीय मजबूती और नीति स्थिरता इसे वैश्विक अस्थिरता के बीच भी आगे बनाए रख सकती है।