नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) पर बढ़ती गोलीबारी और संघर्षविराम उल्लंघनों को लेकर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार रात भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर हुई बातचीत में भारत ने बिना किसी उकसावे के की जा रही गोलीबारी पर कड़ी आपत्ति जताई और पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी।
पाकिस्तान की घबराहट: पोस्ट खाली, झंडे हटाए
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को पाकिस्तान सेना ने कठुआ के पर्गवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई पोस्ट खाली कर दीं और वहां से अपने राष्ट्रीय झंडे भी हटा लिए। इस कार्रवाई को भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से घबराहट के रूप में देखा जा रहा है।
22 अप्रैल के बाद चार बार संघर्षविराम का उल्लंघन
भारतीय सेना के अनुसार, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सेना लगातार एलओसी पर फायरिंग कर रही है।
- 26-27 अप्रैल की रात: तंगधार, तुतमारी गली और रामपुर सेक्टर में गोलीबारी हुई।
- 27-28 अप्रैल की रात: कुपवाड़ा और पुंछ जिलों के क्षेत्रों में फिर से फायरिंग हुई।
- 29-30 अप्रैल की रात: नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों में एलओसी के पार से फायरिंग की गई।
इन सभी घटनाओं में पाकिस्तानी सेना ने छोटे हथियारों का इस्तेमाल कर संघर्षविराम का उल्लंघन किया, जिसका भारतीय सेना ने सटीक और आक्रामक जवाब दिया।
भारत ने कहा: बिना उकसावे के कार्रवाई बर्दाश्त नहीं
DGMO स्तर पर हुई बातचीत में भारतीय सेना ने पाकिस्तान से साफ कहा कि भविष्य में किसी भी प्रकार की गोलीबारी या घुसपैठ की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने यह भी रेखांकित किया कि
“अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो जवाब और भी कठोर होगा।”
पहलगाम हमले के बाद बदले हालात
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया था, जिसमें कई जवान शहीद हुए और कुछ घायल भी हुए। इसके बाद से ही एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर तनाव का माहौल है।
क्या बदल रहा है सीमा पर समीकरण?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने अपने पोस्ट खाली कर झंडे हटाना एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को जवाबदेह ठहराया जा सके। लेकिन भारतीय एजेंसियां और सेना पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज
इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। विपक्ष ने सरकार से सख्त जवाबी नीति अपनाने की मांग की है, वहीं सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमा पर बदलते हालात आने वाले समय में बड़े सैन्य कदमों की भूमिका तैयार कर सकते हैं।
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