भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: टैरिफ कम करने पर जल्द हो सकती है सहमति, पीयूष गोयल अमेरिका दौरे पर
नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 24 सितंबर (हि.स.)। भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच टैरिफ कम करने को लेकर जल्द ही सहमति बन सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका दौरे पर हैं। उनके साथ विशेष सचिव और भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह वार्ता सोमवार से ही जारी है और इसमें व्यापार के साथ-साथ गैर-व्यापारिक मुद्दों पर भी गहन चर्चा हो रही है।
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हालिया वार्ताओं की पृष्ठभूमि
गोयल की यह यात्रा उस चर्चा के बाद हो रही है, जो 16 सितंबर को नई दिल्ली में हुई थी। उस बैठक में भारत की ओर से राजेश अग्रवाल और अमेरिका की ओर से मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच शामिल हुए थे। उस समय वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि बातचीत सकारात्मक रही और दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता संपन्न करने का भरोसा जताया।
चर्चा के मुख्य मुद्दे
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच वर्तमान वार्ताओं में निम्न बिंदुओं पर बातचीत चल रही है:
- टैरिफ और शुल्क में कमी : ताकि दोनों देशों के निर्यातकों और आयातकों को लाभ मिल सके।
- गैर-शुल्क बाधाओं का समाधान : जैसे मानक, प्रमाणन और नियामकीय प्रक्रियाएं, जो व्यापार को प्रभावित करती हैं।
- डिजिटल ट्रेड और सेवाएं : आईटी और डिजिटल सेवाओं के आदान-प्रदान पर विशेष ध्यान।
- बौद्धिक संपदा अधिकार और निवेश संरक्षण : निवेशकों के हित सुरक्षित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के उपाय।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध पिछले एक दशक में लगातार मजबूत हुए हैं। दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 190 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। लेकिन कृषि उत्पादों, फार्मा और आईटी सेवाओं पर टैरिफ और नियामकीय अड़चनें लंबे समय से विवाद का कारण रही हैं।
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संभावित लाभ
अगर दोनों देशों के बीच टैरिफ कम करने पर सहमति बनती है तो इसका सीधा फायदा भारतीय किसानों, फार्मा उद्योग और टेक्नोलॉजी कंपनियों को होगा। वहीं अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत का बड़ा उपभोक्ता बाजार और अधिक खुल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन सुधारने और निवेश प्रवाह बढ़ाने में सहायक होगा।
आगे की राह
अमेरिका में हो रही इन वार्ताओं को दोनों देशों की सरकारें रणनीतिक दृष्टि से भी देख रही हैं। भारत के लिए यह समझौता उस समय और अहम है जब वह वैश्विक सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। वहीं अमेरिका भी भारत को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में देख रहा है। संभावना है कि आने वाले महीनों में दोनों देश मिनी ट्रेड डील या व्यापक समझौते का ऐलान कर सकते हैं।
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