भारत-अमेरिका ट्रेड डील जल्द अंतिम चरण में, घट सकता है टैरिफ; ऊर्जा और कृषि सेक्टर बने केंद्र
ट्रेड डील से भारत को मिलेगी राहत, अमेरिकी दबाव के बीच भी घरेलू हितों पर अडिग रुख
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही एक बड़ा समझौता हो सकता है। इस डील के तहत भारत की चुनिंदा वस्तुओं पर लगाए गए 50% टैरिफ को घटाकर 15% करने की संभावना जताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, इस समझौते के केंद्र में ऊर्जा और कृषि क्षेत्र प्रमुख हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी कच्चे तेल की खरीद में धीरे-धीरे कमी लाए और इसके बदले अमेरिकी ऊर्जा उत्पादों का आयात बढ़ाए। वहीं, भारत का रुख साफ है कि कोई भी रियायत देश के घरेलू उद्योग और किसानों के हितों को प्रभावित नहीं करेगी।
अमेरिका चाहता है भारतीय बाजार में नॉन-जीएम मक्का और सोयामील की एंट्री
अमेरिकी वार्ताकारों का दावा है कि भारत अपने बाजार को नॉन-जीएम (गैर-जेनेटिकली मॉडिफाइड) मक्का और सोयामील के लिए खोल सकता है। अमेरिका का मानना है कि भारतीय पोल्ट्री, डेयरी और एथेनॉल उद्योग में इन उत्पादों की अच्छी खपत होगी। वर्तमान में भारत सालाना लगभग 5 लाख टन मक्का अमेरिका से आयात करता है।
हालांकि, भारतीय पक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि नॉन-जीएम मक्का पर मौजूदा 15% टैक्स को कम नहीं किया जाएगा। भारत ने यह भी दोहराया है कि कृषि और खाद्य सुरक्षा के मामलों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

अमेरिका चाहता है ‘प्रीमियम चीज़’ की एंट्री, भारत ने किया इंकार
ट्रेड वार्ता में अमेरिका ने भारत से ‘प्रीमियम चीज़’ (पनीर) उत्पादों को बाजार में लाने की अनुमति देने की मांग की है। लेकिन भारत ने इस पर फिलहाल सहमति नहीं जताई है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इससे घरेलू डेयरी उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। भारत पहले ही डेयरी सेक्टर को विदेशी उत्पादों से बचाने के लिए सख्त नीति पर काम कर रहा है।
भारतीय अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिनिधियों को स्पष्ट रूप से बताया है कि डेयरी सेक्टर में कोई नई विदेशी एंट्री की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि यह लाखों छोटे डेयरी किसानों की आजीविका से जुड़ा मामला है।
ट्रेड डील पर ट्रम्प की ‘ईगो’ बनी अड़चन
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल के अनुसार, “भारत-अमेरिका ट्रेड डील फिलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टेबल पर पड़ी है। भारत अपने घरेलू हितों से समझौता नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका को एक अहम व्यापारिक साझेदार के रूप में देखता है।” उन्होंने कहा कि मुख्य समस्या ट्रम्प की “ईगो पॉलिटिक्स” से उत्पन्न हो रही है।
कंवल सिब्बल का कहना है कि ट्रम्प ने यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया पर दबाव डालकर ट्रेड डील्स कीं, और भारत से भी वही अपेक्षा रखते हैं। लेकिन भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश के साथ ऐसा रुख अपनाना आसान नहीं। यही वजह है कि बातचीत कई बार ठहर जाती है और फिर दोबारा शुरू होती है।
भारत पर 50% टैरिफ, 85 हजार करोड़ का निर्यात प्रभावित
ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर अप्रैल में 25% और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% की पेनल्टी लगाई थी। इस तरह भारत पर कुल 50% का टैरिफ लागू है। इसका असर भारत के निर्यात पर सीधा पड़ा है।
अनुमान है कि इन टैरिफों की वजह से भारत का करीब 85,000 करोड़ रुपये का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने 6 अगस्त को जारी एक कार्यकारी आदेश में कहा था कि “रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर यह कार्रवाई आवश्यक है।” यह आदेश 27 अगस्त से प्रभावी हुआ था। इससे पहले 30 जुलाई को भी ट्रम्प ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था।
ऊर्जा और कृषि के अलावा डिजिटल व्यापार भी एजेंडा में शामिल
सूत्रों के अनुसार, नई ट्रेड डील में ऊर्जा और कृषि के साथ-साथ डिजिटल कॉमर्स और ई-कॉमर्स सेक्टर को भी शामिल किया जा सकता है। अमेरिका चाहता है कि भारत डेटा लोकलाइजेशन पर अपने नियमों को थोड़ा लचीला बनाए ताकि अमेरिकी कंपनियां भारत में डिजिटल सेवाओं का विस्तार कर सकें।
भारत इस पर सहमत तो है, लेकिन वह चाहता है कि घरेलू डिजिटल कंपनियों की सुरक्षा और डेटा संप्रभुता से समझौता न हो।
2030 तक 500 बिलियन डॉलर व्यापार का लक्ष्य
भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर तक पहुंचा।
इस दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा, और दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 12.56 अरब डॉलर तक पहुंचा। भारत का अमेरिका को निर्यात लगातार बढ़ रहा है, जिससे स्पष्ट है कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं परस्पर निर्भर होती जा रही हैं।
ट्रेड डील से क्या होंगे संभावित फायदे
यदि यह ट्रेड डील सफल रहती है, तो भारत को अमेरिकी बाजारों में कम टैरिफ का लाभ मिलेगा। इससे टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट, आईटी और केमिकल सेक्टर में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
वहीं, अमेरिका को भारत के तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार में प्रवेश मिलेगा, जिससे उसकी कृषि और ऊर्जा कंपनियों को बड़ा लाभ हो सकता है।
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