भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम चरण में, ट्रंप बोले- जल्द होंगे हस्ताक्षर

नई दिल्ली।
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। दोनों देशों के बीच जो समझौता कई महीनों से चर्चा में था, वह अब अपने पहले चरण के लगभग अंतिम रूप में है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, समझौते की अधिकांश शर्तों पर सहमति बन चुकी है और अब केवल दस्तावेज़ की भाषा को लेकर अंतिम स्तर की बातचीत चल रही है। इस समझौते से न केवल व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की उम्मीद है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं। अपने हालिया भाषण में ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका बहुत जल्द व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने इसे दोनों देशों के लिए "बड़ा और संतुलित सौदा" बताते हुए कहा कि यह समझौता आपसी हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हालांकि, उन्होंने इस दौरान आयात शुल्क को लेकर भी अपनी पुरानी स्थिति दोहराई और कहा कि अमेरिका अपनी व्यापारिक ताकत बनाए रखेगा।

ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें "शानदार दिखने वाला व्यक्ति" और "मजबूत नेता" बताया। उन्होंने कहा कि मोदी न केवल अपने देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। ट्रंप ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी का बहुत सम्मान करता हूं। वे एक सशक्त और दृढ़ नेता हैं, जिन्होंने भारत को नई दिशा दी है।”

समझौते का उद्देश्य और प्रगति
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का उद्देश्य मौजूदा 191 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार को वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। दोनों देशों ने इस दिशा में मार्च से अब तक पांच दौर की बातचीत पूरी कर ली है। हाल ही में गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक समझौते की पांचवीं और निर्णायक वार्ता थी। यह वार्ता दोनों देशों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों के बीच बेहद सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई।

भारत की ओर से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इसमें शामिल हुए। वहीं, अमेरिका की ओर से सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में टीम ने भारत के वाणिज्य विभाग के साथ विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि व्यापार समझौता अब लगभग तैयार है और केवल कुछ तकनीकी बिंदुओं पर सहमति बाकी है।

संवेदनशील मुद्दे और चुनौतियाँ
हालांकि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन चुकी है, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्र को लेकर मतभेद अब भी मौजूद हैं। अमेरिकी पक्ष ने भारत से इन दोनों क्षेत्रों को विदेशी निवेश और आयात के लिए खोलने की मांग की थी, जिस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया। भारत का तर्क है कि कृषि और डेयरी सेक्टर देश की बड़ी आबादी की आजीविका से सीधे जुड़े हुए हैं, इसलिए इन क्षेत्रों को पूरी तरह विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं खोला जा सकता।

अमेरिकी प्रशासन ने इससे पहले भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया था, जो एक अगस्त से लागू हुआ। इसके बाद, रूस से तेल आयात जारी रखने पर ट्रंप प्रशासन ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क और लगा दिया, जिससे कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत हो गई। इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया था, लेकिन हाल की बातचीत के बाद हालात में सुधार देखा गया है।

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ट्रंप का मोदी की प्रशंसा और एशिया-प्रशांत सम्मेलन में बयान
दक्षिण कोरिया में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संवाद बेहद रचनात्मक दिशा में जा रहा है। ट्रंप ने बताया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा था, तब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की थी। उस बातचीत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी ने दृढ़ता से कहा था, "हम लड़ते रहेंगे," लेकिन दो दिन बाद भारत ने अमेरिका से संपर्क कर अपने रुख में नरमी दिखाई। ट्रंप ने इसे एक "सकारात्मक कूटनीतिक परिणाम" बताया।

उन्होंने इस दौरान "ऑपरेशन सिंदूर" का भी उल्लेख किया और कहा कि भारत की उस कार्रवाई से अमेरिका ने बहुत कुछ सीखा। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान दिया है बल्कि वैश्विक मंच पर भी संतुलन बनाए रखने में मदद की है।

आर्थिक सहयोग के नए आयाम
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को गहरा लाभ होगा। भारत के लिए यह समझौता अमेरिकी बाजारों तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करेगा, जबकि अमेरिका को भारत के बढ़ते उपभोक्ता बाजार से व्यापक अवसर मिलेंगे। तकनीक, ऊर्जा, रक्षा, और कृषि जैसे क्षेत्रों में संयुक्त निवेश बढ़ने की संभावना है।

भारत सरकार का मानना है कि यह समझौता भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाने में मदद करेगा। वहीं, अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए बेहतर और सुरक्षित माहौल मिलेगा।

निष्कर्ष स्वरूप, यह कहा जा सकता है कि भारत-अमेरिका के बीच यह व्यापार समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय खोलेगा। अगर सब कुछ तय समय पर चलता रहा, तो 2025 के अंत तक इस समझौते के पहले चरण पर औपचारिक हस्ताक्षर हो जाएंगे।