भारत का पलटवार: अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर लग सकता है 50% टैरिफ, स्टील-एल्युमिनियम विवाद तेज
अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील, एल्युमिनियम और कई अन्य प्रोडक्ट्स पर 50% तक का टैरिफ (इम्पोर्ट ड्यूटी) लगाए जाने के बाद, भारत अब जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार चुनिंदा अमेरिकी सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने पर विचार कर रही है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हालिया पॉलिसी पर भारत का पहला औपचारिक पलटवार हो सकता है।

ट्रम्प के दोहरे टैरिफ का जवाब
31 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रम्प ने सभी भारतीय प्रोडक्ट्स पर 25% टैरिफ लगाया था। इसके कुछ ही दिनों बाद, 6 अगस्त को, रूस से तेल आयात (ऑयल इम्पोर्ट) करने के चलते भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ भी थोप दिया गया।
फरवरी में शुरू हुआ स्टील-एल्युमिनियम विवाद तब और बढ़ गया जब अमेरिका ने इन मेटल्स पर पहले 25% और फिर जून में 50% टैरिफ लगा दिया। इस फैसले से भारत के कम से कम 7.6 बिलियन डॉलर (करीब 66,559 करोड़ रुपए) के एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ा।
WTO में भारत का रुख
भारत ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में अमेरिका के इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि यह ‘नेशनल सिक्योरिटी’ के नाम पर छिपाई गई सेफगार्ड ड्यूटी है, जो WTO के नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, अमेरिका ने इस मामले में बातचीत करने से इनकार कर दिया। इसके बाद भारत ने WTO नियमों के तहत कानूनी पलटवार की तैयारी शुरू कर दी है।
भारत किन प्रोडक्ट्स को निशाना बना सकता है?
सूत्रों के अनुसार, भारत अमेरिकी स्टील और मेटल से जुड़े कई प्रोडक्ट्स पर 50% तक का टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। अमेरिका, भारत को हर साल 45 बिलियन डॉलर (करीब 3.94 लाख करोड़ रुपए) का एक्सपोर्ट करता है। वहीं, हालिया टैरिफ से पहले भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट 86 बिलियन डॉलर (करीब 7.53 लाख करोड़ रुपए) था। अगर भारत जवाबी कार्रवाई करता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे (Trade Deficit) में बड़ा बदलाव संभव है।

बाइलैटरल ट्रेड पर असर
फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प ने द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) को 500 बिलियन डॉलर (करीब 43.78 लाख करोड़ रुपए) तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया था। लेकिन अमेरिकी पक्ष ने भारत से कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक रियायतें मांगीं, जिसे भारत ने ठुकरा दिया। इसके बाद व्यापार समझौते (Trade Deal) पर बातचीत रुक गई।

सिर्फ मेटल ही नहीं, कई सेक्टर प्रभावित
वित्तीय वर्ष 2024-25 में अमेरिका ने भारत को 13.62 बिलियन डॉलर (करीब 1.19 लाख करोड़ रुपए) का एनर्जी एक्सपोर्ट किया, जिसमें प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल शामिल हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स और अन्य वस्तुओं का भी बड़ा व्यापार हुआ।
सर्विस सेक्टर में भी दोनों देशों के बीच बड़ा लेन-देन है। 2024 में द्विपक्षीय सर्विसेज ट्रेड 83.4 बिलियन डॉलर (करीब 7.30 लाख करोड़ रुपए) का रहा, जिसमें अमेरिका को 102 मिलियन डॉलर (करीब 893 करोड़ रुपए) का सरप्लस मिला। अमेरिकी सर्विस एक्सपोर्ट 16% बढ़कर 41.8 बिलियन डॉलर (करीब 3.66 लाख करोड़ रुपए) और भारत से इम्पोर्ट भी लगभग समान दर से बढ़कर 41.6 बिलियन डॉलर (करीब 3.64 लाख करोड़ रुपए) हो गया।
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 50% तक का टैरिफ लगाता है, तो यह न सिर्फ मेटल सेक्टर बल्कि ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि से जुड़े व्यापारिक रिश्तों पर भी असर डालेगा। इससे दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव में और बढ़ोतरी हो सकती है।