भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से सस्ती होंगी व्हिस्की, कारें, कपड़े; निर्यात और रोजगार को बढ़ावा
नई दिल्ली। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच 24 जुलाई 2025 को ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मौजूदगी में इस समझौते पर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए।
दोनों देशों के बीच यह बहुप्रतीक्षित समझौता 2022 से बातचीत के दौर में था। अब यह करार न केवल व्यापारिक संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि आम लोगों के लिए भी कई विदेशी उत्पादों को सस्ता कर देगा।
We shall create the future together 🇮🇳 🇬🇧 #IndiaUKFTA pic.twitter.com/jR8NMhelvl
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 24, 2025

भारत में सस्ती होंगी यूके की कारें, व्हिस्की, कपड़े और कॉस्मेटिक सामान
एफटीए के तहत भारत में यूके से आने वाले कई उत्पादों पर आयात शुल्क में बड़ी कटौती की गई है। इससे उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
- व्हिस्की और जिन: स्कॉच व्हिस्की पर पहले 150% टैक्स लगता था, अब इसे घटाकर 75% किया गया है और 10 वर्षों में यह 40% तक आ जाएगा। इससे 5,000 रुपए की बोतल अब 3,500 रुपए में उपलब्ध हो सकती है।
- लग्जरी कारें: जगुआर, लैंड रोवर और रोल्स-रॉयस जैसी यूके की महंगी कारों पर टैक्स 100% से घटाकर कोटा सिस्टम के तहत 10% कर दिया गया है। इससे कीमत में 20 से 30% तक गिरावट संभव है।
- खाद्य और पेय पदार्थ: यूके से आने वाली चॉकलेट, बिस्किट, सैल्मन मछली, लैंब और सॉफ्ट ड्रिंक सस्ते होंगे क्योंकि इन पर टैरिफ घटाया गया है।
- कपड़े और फैशन आइटम: यूके के ब्रांडेड परिधान, होम डेकोर और फुटवियर अब कम दाम पर मिलेंगे। फैशन के शौकीनों के लिए यह बड़ा मौका होगा।
- कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइस: यूके के सौंदर्य प्रसाधन, हेल्थ उपकरणों और एयरोस्पेस पार्ट्स पर आयात शुल्क अब मात्र 3% रहेगा, जो पहले 15% था।

भारत को निर्यात में मिलेगा बड़ा फायदा, इन सेक्टरों को होगा लाभ
एफटीए के बाद भारत के 99% सामानों को यूके में शून्य आयात शुल्क पर निर्यात की अनुमति मिल गई है। इससे भारत के कई प्रमुख सेक्टरों को नई गति मिलेगी।
1. टेक्सटाइल उद्योग को बूस्ट
भारतीय वस्त्र उद्योग, खासतौर से तिरुप्पुर, सूरत और लुधियाना जैसे हब, अब यूके में बिना किसी आयात शुल्क के अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इससे इन क्षेत्रों में 40% तक वृद्धि की संभावना है।

2. गहने और चमड़ा उद्योग
ज्वेलरी, बैग और चमड़े के जूते-चप्पलों पर यूके में टैक्स खत्म हो गया है। इससे MSME सेक्टर को बहुत बड़ा फायदा मिलेगा।
3. इंजीनियरिंग और ऑटो पार्ट्स
भारतीय मशीनरी, इंजीनियरिंग टूल्स और वाहन पुर्जों पर अब यूके कोई टैक्स नहीं लगाएगा। इससे पुणे, चेन्नई और गुड़गांव जैसे औद्योगिक केंद्रों को जबरदस्त फायदा मिलेगा।
4. फार्मा और मेडिकल डिवाइसेस
भारतीय जेनेरिक दवाओं के लिए यूके में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान होगी। इससे दवाओं की मंजूरी तेज होगी और भारत NHS जैसी संस्थाओं को सस्ता विकल्प दे पाएगा।

5. खाद्य और मसाले
झींगा, बासमती चावल, असम की चाय और मसाले अब यूके में बिना टैक्स के पहुंचेंगे। इससे पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल और असम की कृषि व मछलीपालन आधारित अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा।

6. केमिकल्स और स्पेशलिटी मटेरियल्स
गुजरात और महाराष्ट्र के उद्योगों के लिए यह डील सोने पर सुहागा है। एग्रोकेमिकल्स और विशेष प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात में बड़ी वृद्धि संभव है।
7. ग्रीन एनर्जी में साझेदारी
यूके, भारत के सोलर, ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्रों में निवेश करेगा। इससे नई टेक्नोलॉजी का साझा विकास संभव होगा और हरित ऊर्जा सेक्टर को नई दिशा मिलेगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था को होंगे ये प्रमुख फायदे
- निर्यात में वृद्धि: यूके में जीरो टैरिफ के कारण भारत का कुल निर्यात 2030 तक 29 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
- रोजगार सृजन: टेक्सटाइल, चमड़ा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में लाखों नई नौकरियां पैदा होंगी।
- MSME को अवसर: भारत के 6 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को नया बाजार मिलेगा, जिससे वे अपनी आमदनी और मुनाफा बढ़ा सकेंगे।
- निवेश में बढ़ोतरी: यूके की कंपनियां अब भारत में आईटी, वित्तीय सेवाएं, ग्रीन टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर में निवेश करेंगी, जिससे भारत का सेवा और उत्पादन क्षेत्र सशक्त होगा।
- अर्थव्यवस्था को रफ्तार: यह समझौता भारत-यूके व्यापार को सालाना 15% की दर से बढ़ाएगा और भारत के 100 बिलियन डॉलर व्यापार लक्ष्य को छूने में मदद करेगा।

कब से लागू होगा यह एग्रीमेंट?
इस ऐतिहासिक समझौते को भारत की केंद्रीय कैबिनेट पहले ही मंजूरी दे चुकी है। अब यूके की संसद की मंजूरी मिलते ही यह अगले एक वर्ष के भीतर लागू हो जाएगा। इसके बाद भारत और यूके के व्यापारिक रिश्तों में नई क्रांति आएगी।
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