नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए सोमवार को स्वदेशी रूप से विकसित थर्ड जेनरेशन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग मार्क 2' का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया। इस परीक्षण ने भारत की सैन्य ताकत को और अधिक मजबूती प्रदान की है।
परीक्षण के मुख्य बिंदु
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 'नाग मार्क 2' ने परीक्षण के दौरान अपनी अधिकतम और न्यूनतम रेंज पर सभी लक्ष्यों को आसानी से भेद दिया। यह मिसाइल आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है और सटीक निशाना साधने में सक्षम है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस मिसाइल ने प्रदर्शन के हर स्तर पर उत्कृष्टता साबित की। पोखरण रेंज में किए गए परीक्षण ने इसकी सटीकता और विश्वसनीयता को सफलतापूर्वक सिद्ध कर दिया है।
'नाग मार्क 2' की तकनीकी खूबियां
- फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक:
'नाग मार्क 2' में फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे लॉन्च के बाद ऑपरेटर से किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना लक्ष्य को भेदने में सक्षम बनाती है। यह तकनीक युद्ध के दौरान ऑपरेटर को बेहतर निर्णय लेने की आजादी देती है। - विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच (ERA):
यह मिसाइल ईआरए तकनीक से लैस है, जो इसे बख्तरबंद वाहनों और अत्याधुनिक टैंकों को बेअसर करने में सक्षम बनाती है। - सटीक निशाना लगाने की क्षमता:
'नाग मार्क 2' दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को सटीकता के साथ निशाना बना सकती है। इसकी रेंज और पैंठ क्षमता इसे किसी भी आधुनिक युद्धक्षेत्र में उपयोग के लिए आदर्श बनाती है। - ऑपरेटिंग में सरलता:
इसका संचालन बेहद आसान है और इसे युद्ध के मैदान में न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। - सभी मौसम में कार्यक्षम:
'नाग मार्क 2' किसी भी मौसम और भूभाग में प्रभावी है। यह दिन और रात दोनों में सटीक हमले कर सकती है।
आधुनिक बख्तरबंद खतरों का समाधान
नाग मार्क 2 को विशेष रूप से उन आधुनिक बख्तरबंद खतरों का समाधान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनका सामना भारत की सेना को भविष्य में करना पड़ सकता है। यह मिसाइल दुश्मन की अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली को भी प्रभावी ढंग से भेद सकती है, जिससे भारतीय सेना की ताकत और प्रभावशीलता में बढ़ोतरी होगी।
भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम
'नाग मार्क 2' का सफल परीक्षण भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और यह न केवल भारत की रक्षा प्रणाली को सशक्त करेगी, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की क्षमता का भी परिचय देती है।
भविष्य की दिशा
'नाग मार्क 2' का सफल परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह मिसाइल भारतीय सेना के शस्त्रागार में शामिल होने के बाद आधुनिक युद्धक्षेत्र में एक निर्णायक हथियार साबित होगी।
निष्कर्षतः, 'नाग मार्क 2' भारत की सैन्य ताकत और तकनीकी क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
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