भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद चिनाब नदी का पानी रोक दिया है। साथ ही झेलम नदी पर भी कार्रवाई की योजना है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सेना प्रमुखों से लगातार बैठकें की हैं।
🌊 भारत ने चिनाब नदी का पानी रोका, झेलम पर अगला कदम तय
पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि के तहत एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। रविवार को जम्मू के रामबन जिले में बने बागलिहार बांध से चिनाब नदी का पानी रोक दिया गया। यह निर्णय भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार, अब भारत कश्मीर स्थित किशनगंगा बांध के जरिए झेलम नदी के पानी को भी रोकने की योजना बना रहा है। झेलम और चिनाब दोनों ही नदी प्रणालियाँ पाकिस्तान में बहती हैं और भारत के इस कदम को रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है।
🧨 पहलगाम हमले के बाद सेना प्रमुखों से लगातार बैठकें
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे। इस हमले को लेकर सरकार में कड़ी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। रविवार को एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में विशेष रूप से पहलगाम हमले और उससे जुड़े सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई। इससे पहले शनिवार को नेवी चीफ के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक की थी, जो यह दर्शाता है कि सरकार हालात को लेकर पूरी तरह गंभीर और सक्रिय है।
AIMIM प्रमुख ओवैसी का बयान: “पाकिस्तान 100 बार सोचेगा”
इस मुद्दे पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—
“यह एक कायराना आतंकी हमला था। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और सरकार इसका जवाब ज़रूर देंगे और जो लोग मारे गए हैं, उन्हें इंसाफ मिलेगा।”
ओवैसी ने आगे कहा—
“हमें ऐसा कदम उठाना चाहिए कि पाकिस्तान भारत में घुसकर किसी को मारने से पहले 100 बार सोचे।”
📌 विश्लेषण: भारत का जल कूटनीति के जरिए दबाव
भारत का चिनाब और झेलम का पानी रोकने का निर्णय न सिर्फ सुरक्षा नीति, बल्कि जल कूटनीति का भी हिस्सा है। सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसके तहत भारत तीन पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) का उपयोग करता है और तीन पश्चिमी नदियाँ (इंडस, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान के हिस्से में जाती हैं।
अब जबकि पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकी गतिविधियों का समर्थन देखा जा रहा है, भारत इन जल संसाधनों का रणनीतिक इस्तेमाल कर रहा है।
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