बांग्लादेशी अंतरिम प्रधानमंत्री के चीन समर्थक बयान के बाद कूटनीतिक ऐक्शन

नई दिल्ली। भारत ने बांग्लादेश को एक बड़ा झटका देते हुए भारतीय हवाई अड्डों से तीसरे देशों (विदेशों) में कार्गो भेजने की सुविधा को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है। यह फैसला बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री डॉ. मो. समसुल आलम द्वारा चीन में दिए गए बयानों के बाद लिया गया, जिनमें उन्होंने 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करते हुए चीन को बांग्लादेश का प्रमुख रणनीतिक साझेदार बताया था।

भारत के इस कदम को एक साफ़ कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे बांग्लादेश को यह स्पष्ट संकेत मिले कि उसकी चीन की ओर झुकाव की नीति भारत को स्वीकार नहीं।


क्या थी यह सुविधा?

भारत ने बांग्लादेश को विशेष अनुमति दी थी कि वह अपने उत्पादों को भारत के एयरपोर्ट्स से विदेशी बाज़ारों में भेज सके। इसका उद्देश्य था कि बांग्लादेशी निर्यातकों को बेहतर और तेज़ लॉजिस्टिक विकल्प मिलें, खासकर तब, जब उनके पास खुद का कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय एयर कार्गो नेटवर्क नहीं है।

भारत ने यह सुविधा आपसी विश्वास और क्षेत्रीय सहयोग की भावना के तहत दी थी, लेकिन अब इसे निलंबित कर दिया गया है।


चीन में क्या बोले बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री?

बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री डॉ. समसुल आलम, जो फिलहाल कार्यवाहक शासन के अंतर्गत हैं, हाल ही में चीन की यात्रा पर थे। वहाँ उन्होंने कहा कि:

  • "बांग्लादेश हमेशा 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करता है।"
  • "चीन हमारा दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोगी है।"
  • "हमें चीन से बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा में साझेदारी बढ़ाने की उम्मीद है।"

इन बयानों को भारत विरोधी रुख के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि चीन की बढ़ती पकड़ भारत के रणनीतिक हितों के लिए खतरा मानी जाती है, खासकर बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में।


भारत की चिंता और प्रतिक्रिया

भारत को लंबे समय से यह चिंता रही है कि चीन, बांग्लादेश जैसे देशों में बुनियादी ढांचे और आर्थिक मदद के जरिए अपनी भौगोलिक और रणनीतिक मौजूदगी बढ़ा रहा है।

  • बांग्लादेश का चीन से हथियार खरीदना, बंदरगाह परियोजनाओं में साझेदारी, और अब इस तरह के खुले समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
  • भारत का मानना है कि क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी सम्मान के आधार पर संबंधों को चलाना चाहिए, ना कि किसी बाहरी ताकत के प्रभाव में।

भारत सरकार के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह फैसला "नीति समीक्षा के तहत लिया गया" और इसमें "राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हित" प्रमुख कारण रहे।


आगे क्या?

विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सिर्फ शुरुआत है।

  • यदि बांग्लादेश अपनी चीन-केंद्रित नीति पर कायम रहता है, तो भारत अन्य आर्थिक और रणनीतिक छूटें भी समाप्त कर सकता है।
  • इससे बांग्लादेश के निर्यातकों को लॉजिस्टिक समस्याएं होंगी, जिससे उनका वैश्विक व्यापार प्रभावित हो सकता है।

भारत फिलहाल बांग्लादेश से स्पष्टीकरण की अपेक्षा कर रहा है, लेकिन इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अपने पड़ोसियों की नीति पर चुप नहीं रहेगा।

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