• आतंक के खिलाफ दोहरे मापदंडों पर भारत का करारा जवाब, राजनाथ बोले- अब सुरक्षित नहीं हैं आतंकवाद के अड्डे

किंगदाओ/नई दिल्ली। चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट और सख्त नीति का प्रदर्शन किया। गुरुवार को हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया, लेकिन उन्होंने संगठन के साझा बयान (जॉइंट स्टेटमेंट) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण था—साझा दस्तावेज में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का कोई उल्लेख न होना। जबकि इसी दस्तावेज में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुई घटना को स्थान दिया गया। भारत ने इस पक्षपातपूर्ण रुख पर कड़ा ऐतराज जताया और दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए।

लश्कर जैसे संगठनों के हमलों से जुड़ा था पहलगाम हमला

राजनाथ सिंह ने बैठक में अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि पहलगाम में तीर्थयात्रियों पर किया गया हमला सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा था और इसका तरीका लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के पूर्व हमलों से मेल खाता है। उन्होंने कहा, “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर अंजाम दिया। हमें मजबूरन यह कार्रवाई करनी पड़ी क्योंकि कुछ देश आतंकवाद को रणनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और फिर उससे पल्ला भी झाड़ लेते हैं।” राजनाथ ने SCO मंच से यह भी कहा कि अब आतंकवाद के अड्डे सुरक्षित नहीं हैं और भारत जैसी देश अब केवल बातें नहीं कर रहे, बल्कि सख्त जवाब भी दे रहे हैं।

SCO को चाहिए साहस, दोहरे मापदंड न चले

भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद के मसले पर 'चुनिंदा संवेदनशीलता' नहीं चलेगी। राजनाथ ने कहा कि यदि SCO को एक प्रभावशाली और निष्पक्ष मंच बने रहना है, तो उसे आतंकवाद के हर रूप की आलोचना करनी होगी, भले ही वह किसी भी सदस्य देश से जुड़ा हो। उन्होंने यह भी कहा कि दोहरे मापदंड अपनाने वालों को अब समझना होगा कि दुनिया बदल रही है और आतंकवाद के संरक्षकों को भी इसका अंजाम भुगतना होगा।

पाकिस्तान से कोई औपचारिक वार्ता नहीं

बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे, लेकिन भारत की ओर से कोई औपचारिक बातचीत नहीं की गई। राजनाथ सिंह और ख्वाजा आसिफ आमने-सामने जरूर हुए, लेकिन किसी तरह की औपचारिक या अनौपचारिक मुलाकात नहीं हुई। यह भारत के उस रुख को दर्शाता है कि जब तक पाकिस्तान आतंक के मुद्दे पर गंभीर कदम नहीं उठाता, तब तक संवाद की कोई गुंजाइश नहीं है।

पहले भी उठाया था भारत ने SCO में कश्मीर और आतंकवाद का मुद्दा

गौरतलब है कि भारत पहले भी SCO मंच पर आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित हिंसा का मुद्दा उठाता रहा है। लेकिन इस बार का रुख ज्यादा आक्रामक और स्पष्ट था, जो बताता है कि भारत अब केवल 'निंदा' या 'डिप्लोमैटिक विरोध' के स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी ठोस कार्रवाई की पैरवी कर रहा है।