भारत में साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण शुरू, पूरे देश में दिख रहा ब्लड मून

भारत समेत एशिया और दुनिया के कई हिस्सों में रविवार रात साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण शुरू हो चुका है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण है जिसे खगोल विज्ञान में ब्लड मून कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने से वह लाल और नारंगी रंग का दिखाई देता है।

कब शुरू हुआ और कितनी देर चलेगा ग्रहण

ग्रहण रात 9:56 बजे शुरू हुआ है और यह कुल 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा। इसमें से 82 मिनट पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा, यानी इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया (अम्ब्रा) में होगा।

भारत में यह पूरा ग्रहण साफ-साफ देखा जा सकता है। खास बात यह है कि 2022 के बाद पहली बार इतना लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिल रहा है।

देश के हर हिस्से से दिख रहा है नजारा

यह ग्रहण भारत के सभी राज्यों से दिखाई दे रहा है। कहीं लोग इसे खुले आसमान से अपनी आंखों से देख रहे हैं तो कहीं शौकिया खगोलप्रेमी दूरबीन और टेलिस्कोप का सहारा लेकर इसे निहार रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष चश्मे या सुरक्षा उपकरण की जरूरत नहीं है।

दुनिया के कई हिस्सों में भी ग्रहण

यह खगोलीय घटना भारत के अलावा एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों से भी दिखाई दे रही है।

  • एशिया और ऑस्ट्रेलिया में इसे सबसे अच्छे तरीके से देखा जा रहा है क्योंकि इस दौरान चांद आसमान में ऊंचाई पर होगा।
  • यूरोप और अफ्रीका के लोग इसे चांद निकलने के समय थोड़े समय के लिए देख पा रहे हैं।
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अंतरराष्ट्रीय समयानुसार ग्रहण

  • बैंकॉक – रात 12:30 से 1:52 बजे तक
  • बीजिंग और हांगकांग – रात 1:30 से 2:52 बजे तक
  • टोक्यो – रात 2:30 से 3:52 बजे तक
  • सिडनी – सुबह 3:30 से 4:52 बजे तक

क्यों होता है चंद्रग्रहण?

चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इससे सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती और उसकी छाया चांद पर पड़ती है।

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  • पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया में चला जाता है।
  • आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही छाया में आता है।

लोगों की उत्सुकता और धार्मिक मान्यता

देशभर में लोग इस खगोलीय घटना को देखने के लिए उत्साहित हैं। मंदिरों में धार्मिक मान्यताओं के चलते ग्रहण के दौरान पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चार भी किए जा रहे हैं। वहीं कई जगह लोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे अध्ययन का मौका मानकर टेलिस्कोप और कैमरों से तस्वीरें ले रहे हैं।

यह ग्रहण खगोल विज्ञान के लिहाज से बेहद खास है क्योंकि अगले कई सालों तक इतनी देर तक चलने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण भारत से नहीं दिखेगा।