October 22, 2025 4:27 PM

भारत-रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली के लिए 10,000 करोड़ के नए मिसाइल सौदे पर चर्चा तेज, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद बढ़ी रणनीतिक तैयारी

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  • भारतीय वायुसेना की कामयाबी के बाद नई मिसाइलों की खरीद पर विचार

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को लेकर लगभग 10,000 करोड़ रुपये के नए मिसाइल सौदे पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह कदम भारतीय वायुसेना द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हासिल की गई ऐतिहासिक सफलता के बाद उठाया गया है। इस अभियान के दौरान भारतीय एस-400 प्रणाली ने पाकिस्तान के भीतर 300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर 5 से 6 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक जासूसी विमान को सटीक निशाने से मार गिराया था। इस उपलब्धि को भारतीय वायुसेना ने देश की वायु रक्षा क्षमताओं में “क्रांतिकारी बदलाव” बताया है।

रूस के साथ नई डील पर जारी गहन बातचीत


रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारतीय वायुसेना अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और सशक्त बनाने के लिए बड़ी मात्रा में मिसाइलें खरीदने पर विचार कर रही है। इसके लिए रूसी पक्ष के साथ तकनीकी और वित्तीय स्तर पर बातचीत जारी है। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय 23 अक्टूबर को होने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) की बैठक में भारतीय वायुसेना के प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए पेश कर सकता है।

2018 में हुआ था एस-400 प्रणाली का प्रारंभिक समझौता


भारत और रूस ने वर्ष 2018 में एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन खरीदने का समझौता किया था। इनमें से तीन स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना में पहले ही शामिल हो चुके हैं और परिचालन में हैं। चौथे स्क्वाड्रन की आपूर्ति से ठीक पहले रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ गया, जिससे डिलीवरी में देरी हुई। अब भारत ने रूस से शेष दो स्क्वाड्रन की आपूर्ति शीघ्र पूरी करने का अनुरोध किया है।

भारत की योजना — और अधिक एस-400 और एस-500 प्रणाली शामिल करने की


रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि भारत केवल मौजूदा समझौते तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में एस-400 के अतिरिक्त स्क्वाड्रन और नई पीढ़ी की एस-500 वायु रक्षा प्रणाली को भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था में शामिल करने की दिशा में काम कर रहा है। एस-500 प्रणाली लंबी दूरी के लक्ष्यों को 600 किलोमीटर तक भेदने में सक्षम मानी जाती है, जो भारत की रणनीतिक क्षमता को नए स्तर पर ले जाएगी।

रूसी रक्षा प्रतिष्ठान की प्राथमिकताएँ बनी चुनौती


रूस वर्तमान में यूक्रेन युद्ध के चलते अपने सैन्य संसाधनों पर भारी दबाव झेल रहा है। देश के रक्षा कारखाने अपने सशस्त्र बलों के लिए बड़े पैमाने पर उपकरण निर्माण में लगे हुए हैं, जिससे भारत जैसे रणनीतिक साझेदारों के लिए आपूर्ति में थोड़ी देरी संभव है। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और भारत को भरोसा है कि निर्धारित समय पर डिलीवरी की प्रक्रिया फिर से शुरू होगी।

भारत की ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) क्षमता को मिलेगी मजबूती


भारतीय वायुसेना न केवल नई एस-400 मिसाइलों की खरीद बल्कि रूस से नई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (Air-to-Air Missiles) की खरीद पर भी विचार कर रही है। इससे भारत की ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (दृश्य सीमा से परे मार करने की क्षमता) और अधिक सशक्त होगी। इन मिसाइलों से भारतीय वायुसेना को सीमा पार किसी भी हवाई खतरे का जवाब देने में अभूतपूर्व बढ़त मिलेगी।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की क्षमताओं पर भी चर्चा


भारत और रूस ने हालिया वार्ताओं में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की क्षमताओं को और उन्नत करने पर भी चर्चा की है। दोनों देश इसके विस्तारित रेंज संस्करण, जमीन से हवा में मार करने वाले रूपांतरण और समुद्री सुरक्षा अभियानों में उपयोग को लेकर नए तकनीकी सहयोग की दिशा में काम कर रहे हैं।

रक्षा विशेषज्ञों की राय — भारत का कदम दूरदर्शी


रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम उसकी रणनीतिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भर रक्षा नीति की दिशा में एक ठोस संकेत है। मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों में एस-400 जैसी उन्नत प्रणाली भारत को न केवल हवाई सुरक्षा में बढ़त देती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारत की रक्षा नीति में निर्णायक मोड़


एस-400 सौदा भारत की वायु रक्षा रणनीति का केंद्रीय हिस्सा बन गया है। इसके साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह वैश्विक दबावों से परे अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रखेगा। रूस के साथ यह सौदा केवल एक सैन्य सहयोग नहीं, बल्कि दशकों पुराने रणनीतिक साझेदारी संबंधों की पुनर्पुष्टि भी है।

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ऑपरेशन सिंदूर में शानदार प्रदर्शन के बाद भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सौदे पर चर्चा तेज। रक्षा मंत्रालय जल्द मंजूरी दे सकता है। भारत अतिरिक्त एस-400 और एस-500 प्रणालियां खरीदने पर विचार कर रहा है।

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