भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का अग्रणी देश | आईएमएफ ने भारत को बताया ‘ग्रोथ इंजन’, चीन की रफ्तार धीमी

नई दिल्ली। जब पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती और मंदी की आशंकाओं से जूझ रही है, ऐसे समय में भारत ने अपनी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दम पर वैश्विक मंच पर एक नई पहचान बनाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने भारत को “ग्लोबल ग्रोथ का मेन इंजन” बताते हुए कहा है कि भारत 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि चीन की आर्थिक रफ्तार अब धीमी पड़ चुकी है।

आईएमएफ की प्रमुख का यह बयान वाशिंगटन में अगले सप्ताह होने वाली आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से ठीक पहले आया है। यह बयान भारत की आर्थिक साख को न केवल और मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब उभरती अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से आगे बढ़कर विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृत्वकर्ता देश बन चुका है।


भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत, चीन पीछे

आईएमएफ के नवीनतम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2025 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि चीन की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत के आसपास सिमट गई है। यह अंतर केवल संख्याओं का नहीं बल्कि रुझान का है, जो बताता है कि भारत अब स्थायी विकास के मॉडल पर आगे बढ़ रहा है।

क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने कहा,

“भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था का सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ इंजन बन चुका है। यह देश उन कुछ गिने-चुने देशों में है जो वैश्विक मंदी के माहौल में भी स्थिरता और नवाचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं।”

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वैश्विक बदलाव का केंद्र बना भारत

आईएमएफ प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में “बड़ा शिफ्ट” हो रहा है। लंबे समय से चीन एशिया की आर्थिक वृद्धि का प्रतीक रहा है, लेकिन अब भारत इस स्थान को तेजी से भर रहा है।

इस बदलाव के पीछे कई कारक हैं —

  • भारत में मजबूत उपभोग बाजार,
  • निवेश के लिए अनुकूल नीतिगत वातावरण,
  • डिजिटल नवाचार और
  • युवाओं की भागीदारी।

ये सभी कारक भारत को न केवल विकासशील देशों के बीच बल्कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच भी एक मजबूत दावेदार बना रहे हैं।


आईएमएफ के अनुसार, भारत के मजबूत प्रदर्शन के चार कारण

क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत की इस आर्थिक सफलता के पीछे चार प्रमुख वजहें हैं, जो सरल दिखती हैं पर गहराई में बेहद प्रभावी हैं —

  1. सुदृढ़ मौद्रिक और वित्तीय नीतियां
    कई देशों की तरह भारत ने भी अपनी मौद्रिक नीतियों को संतुलित और नियंत्रित रखा है। महंगाई पर नियंत्रण के साथ निवेश और विकास को बढ़ावा दिया गया है।
  2. प्राइवेट सेक्टर की अनुकूलन क्षमता
    भारतीय निजी क्षेत्र ने वैश्विक परिवर्तनों को अपनाने में अभूतपूर्व क्षमता दिखाई है। नई तकनीक, डिजिटलीकरण और उत्पादन क्षमता में वृद्धि ने भारतीय उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाया है।
  3. वैश्विक व्यापारिक दबावों के बावजूद स्थिरता
    अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारत ने अपने व्यापारिक तंत्र को संतुलित रखा है। निर्यात और घरेलू उत्पादन दोनों में सुधार देखने को मिला है।
  4. फाइनेंशियल मार्केट्स में सहजता और विश्वास
    अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत एक भरोसेमंद बाजार बनकर उभरा है। विदेशी पूंजी प्रवाह में स्थिर वृद्धि हुई है, जिससे रुपए की स्थिरता और निवेश माहौल दोनों में सुधार हुआ है।

ग्लोबल ग्रोथ रेट भी उम्मीद से बेहतर

आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में वैश्विक वृद्धि दर लगभग 3 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह दर भले ही बहुत ऊंची नहीं है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में यह स्थिरता का संकेत है। इस स्थिरता में भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है।

आईएमएफ का कहना है कि “भारत का मजबूत घरेलू बाजार और उसकी डिजिटल अर्थव्यवस्था, ग्लोबल इकॉनमी को संबल दे रही है।”


भारत की अर्थव्यवस्था क्यों है विशेष

  • युवा जनसंख्या: भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, जो विकास की सबसे बड़ी ताकत है।
  • डिजिटल क्रांति: यूपीआई, डिजिटल पेमेंट्स और स्टार्टअप्स ने भारत को तकनीकी रूप से अग्रणी बनाया है।
  • नीतिगत सुधार: जीएसटी, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने औद्योगिक क्षेत्र को नई दिशा दी है।
  • विदेशी निवेश: एफडीआई में लगातार बढ़ोतरी भारत की वैश्विक साख को बढ़ा रही है।

भारत बनाम चीन: विकास का नया समीकरण

जहां चीन की अर्थव्यवस्था महामारी के बाद धीमी पुनर्प्राप्ति से गुजर रही है, वहीं भारत ने महामारी के बाद तेजी से उछाल लिया है। चीन की वृद्ध आबादी और ऋण संकट से जूझती अर्थव्यवस्था उसकी प्रगति में बाधा बन रही है, जबकि भारत की युवा ऊर्जा और डिजिटल आधारभूत संरचना उसकी प्रगति को गति दे रही है।

भारत के इस तेज़ उभार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उसकी स्थिति को मजबूत किया है। G20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने अपने नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया और विश्व को विकास के भारतीय मॉडल से परिचित कराया।


भारत: वैश्विक स्थिरता का नया आधारस्तंभ

आईएमएफ की रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि भारत केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता का नया स्तंभ है। भारत की नीतियां, युवा शक्ति, तकनीकी नवाचार और सामाजिक समरसता आने वाले वर्षों में दुनिया के आर्थिक संतुलन को परिभाषित करेंगी।