- योग संगम 2025 की तैयारी जोरों पर, प्रधानमंत्री मोदी विशाखापट्टनम में करेंगे नेतृत्व
श्रीनगर/जैसलमेर। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने देश को अनुशासन, आत्मबल और संतुलन का प्रेरक संदेश दिया है। राजस्थान की तपती रेत पर ड्यूटी देने वाले इन जवानों ने जैसलमेर बॉर्डर पर मंगलवार सुबह योगाभ्यास और प्राणायाम किया। सीमावर्ती क्षेत्र में भी उनके भीतर आंतरिक शांति और मानसिक मजबूती का यह प्रदर्शन अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।
विषम हालात में भी योग से मिलती है ऊर्जा
बीएसएफ जवानों ने कहा कि योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। “हम दिन की शुरुआत योग और ध्यान से करते हैं। सीमाओं पर मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में योग बहुत मदद करता है,” एक जवान ने बताया। इन सैनिकों का मानना है कि योग संकट की घड़ी में भी चित्त को स्थिर रखने की शक्ति देता है।
योग संगम 2025: अब तक का सबसे बड़ा आयोजन
इस वर्ष 21 जून को होने जा रहा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
- 50,000 से अधिक संगठनों ने देशभर में रजिस्ट्रेशन कराया है
- अकेले राजस्थान में 11,000 से अधिक, तेलंगाना में 7,000, और मध्य प्रदेश में करीब 5,000 संगठनों ने भागीदारी दर्ज की है
- इस बार का थीम है: “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग”
- इस आयोजन को ‘योग संगम 2025’ नाम दिया गया है
प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व, विशाखापट्टनम में ऐतिहासिक आयोजन
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का राष्ट्रीय कार्यक्रम आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं 5 लाख से अधिक प्रतिभागियों के साथ योग का अभ्यास करेंगे। केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि यह आयोजन अब तक के सबसे बड़े योग कार्यक्रमों में से एक होगा। देशभर में 1 लाख से अधिक स्थानों पर सामूहिक योग सत्र आयोजित होंगे।
योग: भारत की वैश्विक पहचान
आज जब दुनिया तनाव और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से जूझ रही है, तब भारत का यह प्राचीन विज्ञान लोगों को समग्र स्वास्थ्य और आत्मिक स्थिरता प्रदान कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, जो 2015 से हर वर्ष मनाया जा रहा है, अब भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक नेतृत्व का प्रतीक बन गया है।