रक्षा मंत्रालय ने दी ए-330 MRTT विमान के पट्टे को मंजूरी
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त दिलाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत सरकार ने फ्रांस से एयरबस A-330 मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (MRTT) विमान को तीन साल के पट्टे पर लेने को मंजूरी दे दी है। इस कदम का उद्देश्य भारतीय वायुसेना की हवा में ईंधन भरने की क्षमताओं को और मज़बूती देना है, ताकि लंबी दूरी की उड़ानों और आपातकालीन अभियानों को बेहतर समर्थन मिल सके।
क्यों ज़रूरी था नया टैंकर?
फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ छह इल्यूशिन IL-78 टैंकर विमान हैं, जो 2003 से सेवा में हैं। इन विमानों की तकनीकी सीमाएं और रखरखाव की चुनौतियाँ लंबे समय से चर्चा में रही हैं। तेज़ी से आधुनिक हो रहे वायुसेना के लड़ाकू विमान बेड़े—जैसे राफेल, सुखोई और मिराज—की पूरी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए अधिक विश्वसनीय और उन्नत टैंकर विमानों की ज़रूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में A-330 MRTT एक आधुनिक और प्रभावशाली विकल्प के रूप में सामने आया है।
क्या है A-330 MRTT की खासियत?
A-330 मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट विमान यूरोपीय कंपनी एयरबस द्वारा निर्मित एक अत्याधुनिक विमान है जो दोहरी भूमिका निभा सकता है—हवाई ईंधन भराव और सैन्य परिवहन। यह विमान नागरिक एयरबस A-330 पर आधारित है, जिसे सैन्य उपयोग के लिए खास रूप से रूपांतरित किया गया है। इसे किसी भी ईंधन प्रणाली से लैस किया जा सकता है—बूम, होज़ और ड्रोग दोनों—ताकि यह विभिन्न प्रकार के विमानों को ईंधन दे सके। इसके अलावा इसमें बड़ी मात्रा में सैन्य कार्गो और सैनिकों को ले जाने की क्षमता भी होती है।
सरकार-से-सरकार समझौता और फ्रांसीसी सहयोग
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह सौदा भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच होगा, जिसमें फ्रांसीसी फ्लाइट क्रू और रखरखाव विशेषज्ञों की सेवाएं भी शामिल होंगी। इससे भारतीय वायुसेना के कर्मियों को A-330 जैसे आधुनिक विमान पर प्रशिक्षण और संचालन का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा। विमान की डिलीवरी की सटीक तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन इसे 2025-26 के वित्तीय वर्ष के दौरान अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता
अब तक दुनिया के 15 देशों ने A-330 MRTT के लिए 82 ऑर्डर दिए हैं, जिनमें से 63 विमान 28 फरवरी 2025 तक सप्लाई किए जा चुके हैं। इसकी बहुउद्देश्यीय क्षमता, लंबी रेंज और उच्च ईंधन वहन क्षमता के चलते इसे कई प्रमुख वायुसेनाओं—जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूके, सऊदी अरब और सिंगापुर—द्वारा अपनाया गया है।
यह समझौता भारतीय वायुसेना की बदलती जरूरतों और रणनीतिक तैयारियों का हिस्सा है, जो उसे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और मजबूती प्रदान करेगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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