नई दिल्ली। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर 2024 को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.112 अरब डॉलर घटकर 640.279 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इससे पहले के सप्ताह में, 20 दिसंबर 2024 को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.478 अरब डॉलर की कमी आई थी और यह घटकर 644.391 अरब डॉलर पर आ गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट
यह गिरावट पिछले कुछ सप्ताहों में विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी को दिखाती है। इस गिरावट का मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपए में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों से फॉरेक्स रिजर्व पर बढ़ा दबाव बताया जा रहा है। फॉरेक्स रिजर्व को कवर करने के लिए आरबीआई को विदेशी मुद्रा की खरीद-फरोख्त करनी पड़ती है, जिससे रिजर्व पर दबाव बढ़ता है।
सर्वकालिक उच्चतम स्तर से गिरावट
अक्टूबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जो कि एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड था। लेकिन अब यह भंडार घटकर 640.279 अरब डॉलर तक आ गया है। इसके कारणों में भारत के निर्यात में धीमी वृद्धि, आयात में वृद्धि और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां शामिल हैं, जो विदेशी मुद्रा के प्रवाह पर असर डालती हैं।
विदेशी मुद्रा अस्तियों में कमी
रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर 2024 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा अस्तियों में 4.641 अरब डॉलर की कमी आई और यह घटकर 551.921 अरब डॉलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा अस्तियां उन मुद्राओं का समूह होती हैं जिनमें भारत का विदेशी मुद्रा भंडार निवेशित होता है। इसमें प्रमुख मुद्राएं जैसे यूरो, पाउंड, येन और अन्य विदेशी मुद्राएं शामिल होती हैं, जिनकी कीमतों में डॉलर के मुकाबले उतार-चढ़ाव होता है।
फॉरेक्स रिजर्व के घटने से क्या असर हो सकता है?
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ सकता है, खासकर आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, आरबीआई के पास विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में पर्याप्त स्टॉक है, जिससे वह रुपये को स्थिर बनाए रखने के लिए कदम उठा सकता है। इसके अलावा, देश के भीतर महंगाई नियंत्रण, वैश्विक आर्थिक संकट और घरेलू विकास दर को लेकर भी चिंता बनी रहती है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर भारत की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। यदि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक को रुपये को स्थिर करने के लिए अधिक कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है। इसका असर निवेशकों की मानसिकता पर भी पड़ सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक निवेश करने में हिचक सकते हैं।
हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, और वह इस स्थिति से निपटने के लिए अपनी नीतियों के तहत कदम उठा सकता है। RBI का मुख्य उद्देश्य रुपये की स्थिरता बनाए रखना और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना है।