मोरक्को में भारत की पहली विदेशी रक्षा फैक्ट्री, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने खोला नया अध्याय

भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए मोरक्को के बेररेशिद में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) की पहली विदेशी निर्माण इकाई का शुभारंभ किया है। यह भारत का पहला ओवरसीज डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मोरक्को दौरे के दौरान किया।

यह अवसर भारत-मोरक्को रक्षा साझेदारी का नया अध्याय माना जा रहा है। उद्घाटन समारोह में मोरक्को के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री अब्देलटीफ लाउडी भी मौजूद रहे। इस फैक्ट्री को खासतौर पर व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म्स के उत्पादन पर केंद्रित किया गया है।

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राजनाथ सिंह का संदेश: "मेक विद फ्रेंड्स, मेक फॉर द वर्ल्ड"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा कि भारत अब केवल "मेक इन इंडिया" तक सीमित नहीं है, बल्कि "मेक विद फ्रेंड्स" और "मेक फॉर द वर्ल्ड" के विजन पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वसनीय साझेदार देशों के साथ मिलकर उन्नत रक्षा तकनीक का विकास करेगा और वैश्विक शांति तथा क्षमता निर्माण में योगदान देगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल स्थानीय संप्रभुता का सम्मान करती है और क्षेत्रीय औद्योगिक क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी।

भारत का पहला विदेशी रक्षा उत्पादन केंद्र

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की यह इकाई अफ्रीका में भारत की रक्षा उपस्थिति को नई पहचान देगी। यह उत्पादन केंद्र न केवल स्थानीय मांग को पूरा करेगा बल्कि वैश्विक बाजारों, खासकर अफ्रीका, यूरोप और एशिया के लिए भी उन्नत रक्षा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा।

इस फैक्ट्री में शुरुआती उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है और अगले महीने से मोरक्को सरकार को पहली खेप की डिलीवरी होने वाली है। यह परियोजना भारत की तकनीकी क्षमता और डिजाइन-इन-इंडिया रक्षा प्रणालियों को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण उदाहरण है।

भारत-मोरक्को रक्षा सहयोग का विस्तार

यह दौरा ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि यह पहली बार है जब कोई भारतीय रक्षा मंत्री उत्तरी अफ्रीका के किसी देश का दौरा कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत और मोरक्को के बीच रक्षा सहयोग, औद्योगिक साझेदारी और रणनीतिक संबंधों को नई गति देगा।

टीएएसएल के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक सुकरण सिंह ने कहा कि यह पहल हमारी रणनीतिक नीति का हिस्सा है, जिसमें भारत मित्र देशों को "डिजाइन-इन-इंडिया" रक्षा तकनीक प्रणालियां उपलब्ध कराना चाहता है।

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आर्थिक और तकनीकी लाभ

इस इकाई ने न केवल स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किया है बल्कि एक मजबूत सप्लायर इकोसिस्टम भी विकसित किया है। इसके अलावा, फैक्ट्री ने तकनीकी क्षमताओं का निर्माण किया है और उप-प्रणालियों एवं आवश्यक तकनीकों की आपूर्ति करने वाले स्थानीय साझेदारों को भी समर्थन प्रदान किया है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत के रक्षा निर्यात को एक नई दिशा मिलेगी। वर्तमान समय में भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और वैश्विक निर्यात दोनों पर जोर दे रहा है। मोरक्को में यह इकाई उसी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत को एक बड़े रक्षा निर्यातक देश के रूप में स्थापित कर सकती है।

वैश्विक भूमिका की ओर भारत

भारत का यह कदम केवल रक्षा उत्पादन बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को भी रेखांकित करता है। "मेक इन इंडिया" से आगे बढ़कर "मेक विद फ्रेंड्स" और "मेक फॉर द वर्ल्ड" का दृष्टिकोण भारत को वैश्विक साझेदारियों में और अधिक विश्वसनीय बनाता है।

यह पहल भारत के रक्षा उद्योग को न सिर्फ तकनीकी रूप से मजबूत करेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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