2026 और 2027 में दो चरणों में होगी जनगणना, 34 लाख कर्मचारियों को मिल रही ट्रेनिंग
देश में पहली बार डिजिटल जनगणना का ऐलान, मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल से जुड़ेंगे नागरिक
नई दिल्ली। देश में जनगणना की परंपरा को अब डिजिटल मोड़ दिया जा रहा है। आजादी के बाद पहली बार भारत में पूरी तरह डिजिटल जनगणना की जाएगी। केंद्र सरकार ने इस ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है और 16 जून 2024 को इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है।
जनगणना अब तक घर-घर जाकर कागजों पर जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया के जरिए होती थी, लेकिन आने वाले जनगणना अभियान में नागरिक खुद भी अपनी जानकारी डिजिटल माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए एक विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया जा रहा है, जिससे लोग घर बैठे अपनी और अपने परिवार की जानकारी सरकार के साथ साझा कर सकेंगे।
दो चरणों में होगी जनगणना
डिजिटल जनगणना दो प्रमुख चरणों में आयोजित की जाएगी:
- हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग सेंसस (मकानों की गिनती):
यह चरण 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा। इसमें देशभर के मकानों, आवासों और भवनों की जानकारी जुटाई जाएगी। - पॉपुलेशन एनुमरेशन (जनसंख्या की गिनती):
दूसरा चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा, जिसमें लोगों की जनसंख्या, लिंग, आयु, जाति, शिक्षा, रोजगार, भाषा आदि से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी।
यह जनगणना भारत की कुल 16वीं और आज़ादी के बाद 8वीं जनगणना होगी।
नागरिक खुद भी भर सकेंगे जानकारी
सरकार ने बताया है कि यह जनगणना लोगों की भागीदारी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की गई है। नागरिक चाहें तो खुद ही पोर्टल या ऐप के जरिए अपनी पूरी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सूचना सीधे सरकार के केंद्रीय डेटा सर्वर तक पहुंचेगी, जिससे डेटा की सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित की जा सकेगी।

34 लाख कर्मचारियों को ट्रेनिंग
इस विशाल अभियान के लिए सरकार ने करीब 34 लाख जनगणना कर्मचारियों की नियुक्ति की है। उन्हें तीन स्तरों पर ट्रेनिंग दी जा रही है:
- नेशनल ट्रेनर्स – जो उच्चतम स्तर की ट्रेनिंग लेंगे और मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे।
- मास्टर ट्रेनर्स – जो फील्ड ट्रेनर्स को प्रशिक्षण देंगे।
- फील्ड ट्रेनर्स और इन्व्यूमरेटर – जो जमीन पर जाकर जनगणना की प्रक्रिया को लागू करेंगे।
हर गांव और शहर को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जाएगा, जिससे हर घर और हर व्यक्ति की गिनती सुनिश्चित हो सके।
डिजिटल प्रणाली से क्या होंगे फायदे?
- समय की बचत: कागजी कार्रवाई की बजाय रियल-टाइम डेटा एंट्री होगी।
- सटीकता: त्रुटियों की गुंजाइश कम होगी क्योंकि जानकारी सीधे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज होगी।
- डेटा सुरक्षा: केंद्रीय सर्वर पर इनक्रिप्टेड डाटा सेव किया जाएगा।
- जनभागीदारी: नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी बढ़ेगी और जागरूकता में वृद्धि होगी।
सरकार का यह कदम भारत को डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगा, जिससे जनगणना प्रक्रिया अधिक तेज, पारदर्शी और आधुनिक बन सकेगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!