ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा व्यय में भारी इजाफा, 2047 तक बनेगा तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश
रक्षा बजट का 10% अनुसंधान पर खर्च करेगा भारत, 2047 तक तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट
नई दिल्ली, 1 जुलाई (हि.स.)। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए हवाई संघर्ष ने भारत की रक्षा नीतियों और बजट प्राथमिकताओं को नया मोड़ दे दिया है। अब भारत अगले वित्त वर्ष से रक्षा बजट में 60,000 करोड़ रुपये की वृद्धि करने जा रहा है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में रक्षा अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर बजट का 10% हिस्सा खर्च किया जाएगा, जो वर्तमान में लगभग 5.1% है।

CII-KPMG रिपोर्ट: 2047 तक 31.7 लाख करोड़ का रक्षा बजट
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और वैश्विक परामर्श संस्था KPMG की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि:
- वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा बजट 6.8 लाख करोड़ रुपये है,
- जो वर्ष 2047 तक बढ़कर 31.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
- इसके साथ ही भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश बन जाएगा।
R&D पर होगा दोगुना खर्च
रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और आधुनिक सैन्य क्षमताओं को विकसित करने के लिए भारत:
- आने वाले वर्षों में R&D बजट को दोगुना करने जा रहा है,
- जो अत्याधुनिक हथियारों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन, साइबर रक्षा और स्पेस आधारित सैन्य तकनीकों के विकास में मदद
- करेगा।

रक्षा उत्पादन और निर्यात में भारी वृद्धि का अनुमान
इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि:
- भारत का रक्षा उत्पादन 2024-25 में 1.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर
2047 तक 8.8 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएगा। - भारत का रक्षा निर्यात भी मौजूदा 30,000 करोड़ रुपये से बढ़कर
2047 तक 2.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
यह वृद्धि भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में मजबूत पहचान दिला सकती है।
बुनियादी ढांचे और पूंजीगत व्यय पर भी बढ़ेगा खर्च
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि:
- पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) — जिसमें आधुनिक हथियारों और रक्षा उपकरणों की खरीद, इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और सैन्य आधारों का विस्तार शामिल है — उसमें 27% से बढ़ाकर 40% तक वृद्धि की जा सकती है।
- रक्षा व्यय का जीडीपी में हिस्सा भी 2% से बढ़कर 4-5% तक पहुंच सकता है।
कुछ प्रमुख चुनौतियां भी मौजूद
हालांकि रिपोर्ट ने संभावनाओं के साथ-साथ कुछ बाधाओं की भी पहचान की है:
- भारत की सैन्य तकनीकों में आयात पर निर्भरता आज भी आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में बड़ी चुनौती है।
- कुशल मानव संसाधन की कमी और उच्च तकनीकी क्षमता वाले प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
- विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) और
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) को लेकर कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं।
निजी क्षेत्र और सरकार के बीच साझेदारी जरूरी
रिपोर्ट में रक्षा विनिर्माण में निजी कंपनियों को आकर्षित करने, नीतिगत स्थिरता, और प्रोत्साहन योजनाओं पर विशेष ध्यान देने की सिफारिश की गई है। इसके लिए सरकार-निजी भागीदारी (PPP model) को और अधिक पारदर्शी और लाभकारी बनाने की जरूरत बताई गई है।
2047 तक भारत की रक्षा क्षमता में परिवर्तनकारी बदलाव की तैयारी
कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट संकेत देती है कि भारत रक्षा क्षेत्र में भविष्य के युद्धों और तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक दीर्घकालिक रणनीति बना रहा है। इसका उद्देश्य है:
- घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना
- रक्षा निर्यात को वैश्विक स्तर पर बढ़ाना
- और भारत को एक आत्मनिर्भर, तकनीक-प्रवण सैन्य शक्ति में बदलना।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!