2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए भारत की बोली, अहमदाबाद सबसे बड़ा दावेदार
नई दिल्ली। भारतीय खेल इतिहास में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बुधवार को अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए भारत की औपचारिक बोली को मंजूरी दे दी। इस फैसले के साथ भारत ने एक बार फिर दुनिया के बड़े खेल आयोजनों में अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
अहमदाबाद को बनाया गया मेजबानी का दावेदार
आईओए ने 2030 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अहमदाबाद को प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में चुना है। गुजरात सरकार और केंद्र सरकार की ओर से पहले ही इसके लिए आशय पत्र (लेटर्स ऑफ इंटेंट) जमा किया जा चुका है। अब भारत को 31 अगस्त की अंतिम समय सीमा से पहले विस्तृत बोली प्रस्ताव जमा करना होगा।

खेल विशेषज्ञों के अनुसार, अहमदाबाद को चुनने के पीछे कई कारण हैं—यहां पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अत्याधुनिक खेल परिसर, और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मौजूद है। साथ ही, गुजरात सरकार ने खेलों के लिए बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने का वादा किया है।

कनाडा के बाहर होने से बढ़ी संभावनाएं
2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की दौड़ में कनाडा के बाहर हो जाने से भारत की संभावनाएं और मजबूत हो गई हैं। अब प्रमुख दावेदारों में भारत का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। खेल जानकारों का कहना है कि अगर अंतिम बोली सही तरीके से पेश की गई और राजनीतिक-आर्थिक समर्थन मिला, तो भारत के पास मेजबानी हासिल करने का सुनहरा मौका है।
निरीक्षण और चर्चा का दौर
हाल ही में राष्ट्रमंडल खेल निदेशक डैरेन हॉल के नेतृत्व में एक टीम अहमदाबाद का दौरा कर चुकी है। इस टीम ने प्रस्तावित खेल स्थलों का निरीक्षण किया और गुजरात सरकार के अधिकारियों से तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा की।
इस महीने के अंत में राष्ट्रमंडल खेलों का एक और प्रतिनिधिमंडल अहमदाबाद आने वाला है, जो तैयारियों की प्रगति और प्रस्तावित बुनियादी ढांचे की समीक्षा करेगा।
नवंबर में होगा अंतिम फैसला
2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी को लेकर अंतिम निर्णय इस साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाली राष्ट्रमंडल खेलों की आम सभा में लिया जाएगा। अगर भारत को यह मेजबानी मिलती है, तो यह देश के लिए खेलों में एक बड़ी उपलब्धि होगी।
2010 के अनुभव से सबक
भारत ने इससे पहले 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की थी। आयोजन खेल सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिहाज से सफल रहा, लेकिन भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के कारण इसकी छवि धूमिल हुई थी। इस बार आईओए और आयोजन समिति का जोर पारदर्शिता, समय पर तैयारियों और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर होगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी से भारत की खेल अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिलेगा। खेल पर्यटन, बुनियादी ढांचे में निवेश, रोजगार के अवसर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को मजबूत करने जैसे कई सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। अहमदाबाद जैसे शहर में यह आयोजन स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई गति देगा।
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि, इतनी बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता की मेजबानी आसान नहीं है। समय पर निर्माण कार्य, यातायात व्यवस्था, पर्यावरणीय प्रभाव और सुरक्षा प्रबंधन जैसी चुनौतियों से पार पाना अहम होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन पहलुओं पर समय रहते ध्यान दिया गया, तो भारत 2030 राष्ट्रमंडल खेलों को ऐतिहासिक बना सकता है।
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